अशासकीय प्रबंधन समिति ने खोला मोर्चा
-अशासकीय विद्यालयों में नियुक्ति को लेकर सरकार को चेताया
विद्यालयों में नियुक्ति हेतु चयन आयोग के गठन का विरोध किया।
देहरादून। दस्तावेज डेस्क। प्रदेशभर के अशासकीय विद्यालय प्रबन्धक संगठन ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संगठन ये एलान कर दिया है कि सरकार अगर उनकी बात नहीं मानती है तो वो प्रदेस्तरीय प्रदर्शन के लिए मजबूर होंगे, जिसकी संर्पूण जिम्मेदारी सरकार व अधिकारियों की होगी।
रविवार कोेेेेेेेेेेेे अशासकीय विद्यालय प्रबन्धक संगठन, उत्तराखण्ड की बैठक की अध्यक्षता करते हुये संगठन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह नेगी ने कहा कि सरकार की मनमानी को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उन्होंने साफ करते हुये कहा कि सरकार नियमो को ताक पर रखकर प्रबंध समितियों को परेशान करने का काम कर रही है। इस मौके पर नेगी ने बताया कि अशासकीय विद्यालयों में शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की नियुक्तियों पर लगी रोक हटाने के लिए सबको एकजुट होना पडेगा। उन्होने साफ करते हुये कहा कि अशासकीय विद्यालयों में नियुक्ति हेतु किसी भी प्रकार के आयोग/बोर्ड गठन नहीं किया जा सकता है। सिंह ने बताया कि इस सम्बन्ध में मशिक्षा मन्त्री जी को अवगत कराया जा चुका है कि अशासकीय विद्यालयों में नियुक्ति हेतु किसी भी प्रकार के चयन आयोग/बोर्ड गठन से मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रिट पीटशन संख्या-9683-9684/1983 ब्रहम समाज शिक्षा समिति एंव अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य व अन्य में पारित निर्णय दिनांक 05.05.2004 की अवमानना हो रही है।
बैठक में प्रबन्धकों ने यह भी मांग रखी की अनुदान सूची में लिये गये विद्यालयों में पूर्व से कार्यरत्त एवं विधिवत नियुक्त अध्यापकों का समायोजन/वेतन भुगतान तत्काल किया जाये, साथ ही सर्व सम्मति से यह भी निर्णय लिया गया कि प्रदेश सरकार प्रबन्ध समिति के कार्यकाल को पांच साल करने के लिए शासनादेश जारी करे।
बैठक में संरक्षक चन्द्र मोहन सिंह पयाल, पुष्पेश चन्द्र पाण्डेय, सुरेन्द्र सिंह, हल्द्वानी से प्रबन्धक मोहन सिंह बोहरा, अलमोड़ा से प्रबन्धक गिरीश चन्द्र शर्मा, पौड़ी से उत्तम सिंह नेगी, देहरादून से प्रबन्धक संजीव विरमानी, चमोली से प्रबन्धक सुरेन्द्र सिंह बिष्ट, बागेश्वर से प्रबन्धक विक्रम सिंह शाही, टिहरी से प्रबन्धक गोविन्द सिंह रावत व रूद्रप्रयाग से ओमप्रकाश बहुगुणा ने भी विचार रखें।