इमरान खान की सरकार का “अब क्या होगा”?
पाकिस्तान में नई सरकार आने के बाद भारत-पाकिस्तान रिश्तों में बदलाव आने की संभावनाएं तो है, वहीं जैसे ही पाकिस्तान की नई सरकार आई तो उसकी तुलना मोदी सरकार से की जाने लगी है।
जब देश में नरंद्र मोदी चुनाव जीत गए थे तो पाकिस्तान में हर कोई किसी से यही पूछ रहा था, “अब क्या होगा?” जैसे आज भारत मे यही सवाल पूछे जा रहें है की अब पाकिस्तान में इमरान खान की जीत के बात “अब क्या होगा?”
आप कोे बता दें इमरान खान 10 साल से पाकिस्तान के कप्तानी का पद संभालते नज़र आ चुके हैं। हाल ही में वह पाकिस्तान में आम चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री का पद हासिल कर हैं।
क्या इमरान खान मोदी के गुपचुप प्रशंसक है?
इमरान खान ने एक इंटरव्यू मे नरेन्द्र मोदी के लिए कहा था कि “मैं बहुत सारे प्रधानमंत्रियों और बड़े नेताओं से मिल चुका हूं, लेकिन नरेंद्र मोदी के साथ मेरा मिलना और बातचीत जितनी सहज रही, शायद ही किसी और के साथ मैंने इतना सहज महसूस किया हो।”
हाल ही में चुनावों में अपनी रैलियों में भ्रष्टाचार और विकास के जिन नारों के जरिए इमरान ने अपनी जीत पुख्ता की, वो नरेंद्र मोदी के ‘भ्रष्टाचार से आजादी’ और ‘सबका साथ, सबका विकास’ के अभियान म से काफी मिलत-जुलता है। जिसे इमरान के मोदी के गुपचुप प्रशंसक होने का साबित करता है।
पाकिस्तान के घरेलू मसलों पर इमरान खान कर सकते हैं कुछ अलग
इमरान की विदेश नीति से तो कोई उम्मीद रखना बेमानी है, क्योंकि पाक फौज के साए में उसे वैसी ही रहना है, जैसा इमरान से पहले के शासकों के समय रही है। लेकिन घरेलू मसलों पर इमरान खान कुछ अलग कर सकते हैं। अगर वो अपने चुनावी वादों में से एक चैथाई को लेकर भी गंभीर हैं, तो वो मोदी स्टाइल में ‘अच्छे दिन’ पर जरूर जोर डालेंगे।
लेकिन इमरान खान चाहे जितनी कोशिश कर लें, वो नरेंद्र मोदी नहीं बन सकते. मोदी की तरह इमरान ने भी अपनी साफ छवि बनाए रखी है और प्रधानमंत्री की कुर्सी तक का सफर तय करने के लिए एक योजनाबद्ध तरीके से चले भी हैं। जिस तरह, 2014 में भारत में लोगों ने नरेंद्र मोदी में अपनी उम्मीदें देखीं थीं, पाकिस्तानी आवाम ने भी लाहौर के इस पख्तून से कुछ करने की वैसी ही उम्मीदें पाल रखी हैं. लेकिन बस यहीं दोनों नेताओं की तुलना खत्म हो जाती है। इमरान खान ने भी नरेंद्र मोदी की तरह अपने चुनावी कैंपेन में पाकिस्तान के लोगों को “अच्छे दिन” का भरोसा दिया है।
फौज नहीं चाहती पाकिस्तान खुशहाल और पढ़ा-लिखा देश हो
और यही तो पाकिस्तान के हुक्मरान चाहते हैं, एक खुशहाल, पढ़ा-लिखा और आधुनिक पाकिस्तान उनके किस काम का? अगर ऐसा पाकिस्तान बन भी गया तो आतंक के लिए माकूल माहौल कहां से लाएंगे, जो वहां की सेना के लिए ईंधन का काम करता है। यहां तक कि अगर इमरान खान सचमुच पाकिस्तान को रसातल में जाने से रोकना चाहें, खुद को सिर्फ घरेलू समस्याएं सुलझाने तक सीमित रखना चाहें, यानी सिर्फ एक गृह मंत्री की हैसियत से काम करना चाहें, तो भी उनके हाथ हमेशा बंधे ही होंगें।