March 29, 2024

ऐसे भरेगा उत्तराखंड सरकार का खजाना, 500 करोड़ राजस्व मिलने की उम्मीद

कंपाउंडिंग की वन टाइम सेटलमेंट योजना से सरकार को 500 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है। योजना से राजधानी देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल जिलों में सबसे ज्यादा राजस्व मिलेगा। इस धनराशि का 70 फीसदी पार्किंग और हरित क्षेत्र विकसित करने में खर्च किया जाएगा। सरकार ने प्रदेश में 15 जनवरी से वन टाइम सेटलमेंट योजना की शुरुआत करने की घोषणा की है। इसके तहत लोग एक बार अपने नक्शों से इतर हुए अवैध निर्माण की कंपाउंडिंग करवा सकते हैं। सरकार ने आवासीय भवनों के साथ ही छोटे दुकानदारों व प्रतिष्ठानों को भी योजना में शामिल करते हुए कंपाउंडिंग की छूट दी है। घरों व दुकानों को 10 फीसदी निर्माण पर कंपाउंडिंग का लाभ मिलेगा। इसके अलावा कलेक्शन सेंटर या डॉक्टर की ओपीडी के लिए न्यूनतम क्षेत्रफल 50 वर्ग मीटर और छोटी दुकानों के लिए 15 वर्ग मीटर तक निर्धारित किया गया है। मार्च 2019 तक योजना के तहत पुरानी दरों पर ही कंपाउंडिंग की जा सकेगी। जबकि उसके बाद अवैध निर्माण करने पर नए बिल्डिंग बायलॉज के प्रावधानों के अनुसार भारी जुर्माना लगाया जाएगा। इसके लिए सरकार वर्ष 1998 के 20 साल बाद बिल्डिंग बायलॉज के प्रावधानों में भी बदलाव करने जा रही है। 

सरकार को उम्मीद है कि इस पूरी कवायद से प्रदेशभर से 500 करोड़ से अधिक का राजस्व वसूला जा सकेगा। योजना से जुड़े अधिकारियों की माने तो मुख्यत: राजधानी देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल से सबसे अधिक राजस्व अर्जित होगा। यहां आवासीय के साथ ही व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की संख्या भी सबसे अधिक है। 

फुटहिल श्रेणी में कई इलाके शामिल

प्रदेश के कई इलाके नई बनाई गई फुटहिल श्रेणी में शामिल होंगे। इसमें मुख्य तौर पर पहाड़ी क्षेत्रों के वह इलाके शामिल होंगे, जो समतल भूमि पर बसे हैं। गढ़वाल में श्रीनगर, गोचर और कुमाऊं में बैजनाथ, सोमेश्वर जैसे इलाके इसमें शामिल होंगे। इसके अलावा कई अन्य इलाकों के बहुत छोटे-छोटे हिस्से भी इसमें रहेंगे। राजधानी में मसूरी रोड (डायवर्जन और राजपुर से मसूरी की ओर) और सहस्त्रधारा रोड का बड़ा हिस्सा इस श्रेणी में शामिल है। इस श्रेणी में सभी मानक मैदान के लागू होंगे लेकिन भवनों की ऊंचाई 21 मीटर से अधिक नहीं होगी।

फुटहिल श्रेणी में कई इलाके शामिल
वन टाइम सेटलमेंट योजना के तहत सरकार जो भी राजस्व कमाएगी, उसका 70 फीसदी पार्किंग के विकास और हरित क्षेत्र को बढ़ावा देने में खर्च किया जाएगा। सरकार ने बिल्डिंग बायलॉज में भी पार्किंग की अनिवार्यता के महत्वपूर्ण प्रावधान करने की व्यवस्था की है। 

प्राधिकरणों की सुधरेगी हालत 
एमडीडीए, एचआरडीए समेत सभी विकास प्राधिकरणों की वित्तीय हालत में इस योजना से सुधार होने की उम्मीद है। हालांकि कुल राजस्व के 70 फीसदी खर्च की व्यवस्था पहले तय कर दी गई है। उसके बाद भी 30 फीसदी धनराशि प्राधिकरण के पास रहेगी। इसका उपयोग प्राधिकरण की विभिन्न विकास योजनाओं व अन्य व्यवस्थागत खर्चों में किया जा सकेगा।   


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