April 16, 2024

केंद्र ने 80 FDC दवाओं पर लगाया बैन, 5 महीने में 405 दवाएं प्रतिबंधित

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने गुरुवार को 80 एफडीसी (फिक्स डोज कॉम्बीनेशन) दवाओं पर तत्काल प्रभाव से पाबंदी लगा दी है. इससे पहले सरकार ने सितंबर 2018 में 325 एफडीसी दवाओं पर प्रतिबंध लगाया था. अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक, इनमें एंटीबॉयोटिक्स, पेनकिलर, फंगल तथा जीवाणु संक्रमण, उच्च रक्तचाप तथा बेचैनी के इलाज में ली जाने वाली दवाएं भी शामिल हैं. सरकार ने इस मसले से संबंधित एक अधिसूचना जारी किया है. इस अधिसूचना के मुताबिक यह पाबंदी 11 जनवरी से लागू हो गई है.

सरकार द्वारा अब प्रतिबंधित एफडीसी (फिक्स्ड डोज कांबिनेशन या निश्चित खुराक संयोजन) दवाओं की संख्या 405 हो गई है. गौर हो कि पिछले साल सितंबर में स्वास्थ्य मंत्रालय ने 325 दवाओं के उत्पादन, बिक्री या वितरण पर बैन लगा दिया था. दरअसल, ‘फिक्स डोज कॉम्बीनेशन’ दवाओं में 2 या इससे अधिक दवाओं की खुराक एक निश्चित अनुपात में शामिल होती हैं.

केंद्र सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा एफसीडी पर पाबंदी लगाने का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी सरकार कई बार बड़ी संख्या में एफसीडी पर पाबंदी लगा चुकी है. मंत्रालय ने बीते सितंबर में 325 पर पाबंदी लगाने के साथ-साथ कुछ शर्तों को लगाते हुए 6 एफडीसी के उत्पादन, बिक्री अथवा वितरण को भी प्रतिबंधित कर दिया था. सरकार द्वारा इतनी बड़ी संख्या में दवाओं की पाबंदी साल 2016 के बाद पहली बार की गई.

बता दें कि 2016 में केंद्र की मोदी सरकार ने 344 एफडीसी को बैन कर दिया था. मंत्रालय ने औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 26ए के तहत मानव उपयोग के उद्देश्य से 344 एफडीसी के उत्पादन, बिक्री और वितरण पर बैन लगा दिया था. यही नहीं, सरकार ने इसी दौरान समान प्रावधानों के तहत 5 अन्य की बिक्री या वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया था.

सरकार द्वारा लगाए गए बैन के खिलाफ दवा उत्पादकों और निर्माताओं ने सुप्रीम कोर्ट समेत देश भर में मौजूद हाईकोर्ट में इस निर्णय को चुनौती दी थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले में जांच के लिए 15 जनवरी, 2017 को बोर्ड से जांच करने को कहा. औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 5 के तहत गठित दवा तकनीकि सलाहकार बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए अपनी रिपोर्ट केंद्र को सैंपी.

बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में जिन दवाओं पर पाबंदी लगाया गया था उनकी चिकित्सीय औचित्य पर सवाल खड़े किए थे और कहा था कि इनकी कोई जरूरत नहीं है. साथ ही बोर्ड ने चेताते हुए कहा था कि अगर इन एफडीसी दवाओं का प्रयोग किया गया तो इससे लोगों के सेहत को खतरा हो सकता है. इसी के साथ बोर्ड ने औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 26ए के तहत लोगों के हित में इन एफडीसी दवाओं के उत्पादन, बिक्री अथवा वितरण पर प्रतिबंध की सिफारिश की थी.


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