March 29, 2024

300 करोड के घोटाला में एसडीएम,दो तहसीलदार गिरफ्तार

देहरादून , रुदपुर । प्रदेश में हुये 300 करोड रूपये के कथित एनएच-74 घोटाले में एसआईटी  के हाथ एसडीएम साहब ही लग पाये। जिससे जांच पर भी कई सवाल खडे हो गये है। पहले राज्य सरकार की ओर से सीबीआई जांच की संस्तुति देना और उसके बाद सडक एवं परिवहन मंत्री भारत सरकार नितिन गडकरी का जांच पर ही सवाल खडे करने से साफ हो गया था कि दाल में कुछ तो काला है, लेकिन अब साफ हो रहा है कि यहा तो पूरी दाल की काली है। बहरहाल  एनएच-74 भूमि मुआवजा घोटाले की जांच कर रही एसआईटी ने जसपुर और काशीपुर तहसीलों की जांच के बाद जुटाए गए साक्ष्यों के आधार पर एसडीएम, दो तहसीलदारों और पांच अन्य को रविवार रात गिरफ्तार कर लिया।

इनमें दो काश्तकार, एक संग्रह अमीन, तहसील का अनुसेवक और एक स्टांप वेंडर शामिल है। कोर्ट में पेशी के बाद सभी को जेल भेज दिया है। घोटाले के मुख्य आरोपी डीपी सिंह और अन्य की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की चार टीमें विभिन्न क्षेत्रों में दबिश दे रही हैं।

एसआईटी ने रविवार रात निलंबित चल रहे एसडीएम भगत सिंह फोनिया पुत्र पान सिंह निवासी देहरादून, निलंबित संग्रह अमीन अनिल कुमार पुत्र मुनीम सिंह निवासी जसपुर, तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार काशीपुर मदन मोहन पडलिया पुत्र कृष्ण पडलिया निवासी हल्द्वानी, सेवानिवृत्त प्रभारी तहसीलदार भोलेलाल पुत्र स्व. मल्लू लाल निवासी किच्छा, अनुसेवक जसपुर तहसील रामसमुझ पुत्र दूधनाथ निवासी रुद्रपुर,

स्टांप वेंडर जीशान पुत्र जलाल अहमद निवासी काशीपुर, काश्तकार ओम प्रकाश पुत्र चौधरी राम निवासी गढ़ीहुसैन जसपुर और काश्तकार चरन सिंह पुत्र खान चंद निवासी जसपुर को गिरफ्तार कर सोमवार को रुद्रपुर न्यायालय में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट शिवाकांत द्विवेदी की कोर्ट में पेश किया, जहां से सभी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। इसके साथ ही घोटाले के मुख्य आरोपी डीपी सिंह और अन्य लोगों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की चार टीमें विभिन्न स्थानों पर दबिश दे रही हैं।

क्या था मामला
तत्कालीन कुमाऊं आयुक्त डी सेंथिल पांडियन ने एनएच-74 के भूमि मुआवजा वितरण में अनुमानित तीन सौ करोड़ से अधिक के घोटाले को उजागर किया था। इसके बाद अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व प्रताप शाह ने 10 मार्च 2017 को थाना पंतनगर में मुकदमा दर्ज करवाया था। घोटाले की जांच के लिए सीओ सिटी स्वतंत्र कुमार के नेतृत्व में एसआईटी का गठन हुआ। एसआईटी ने तहसीलवार जांच शुरू कर जसपुर और काशीपुर तहसील के राजस्व अधिकारियों, कर्मचारियों और काश्तकारों के बयान दर्ज किए। दोनों तहसीलों के कई संदिग्ध दस्तावेजों को जांच के लिए एफएसएल देहरादून भेजा। जांच आगे बढ़ने के साथ घोटाले के चार सौ करोड़ का आंकड़ा पार करने का अनुमान है।

ऐसे आगे बढ़ी जांच

घोटाले में लिप्त लोगों के खिलाफ साक्ष्य संकलन करने के लिए एसआईटी ने संदिग्ध काश्तकारों की बैंक डिटेल भी खंगाली। पूरी जांच प्रक्रिया में एसआईटी के सामने इस बात का खुलासा हुआ कि दोनों तहसीलों के राजस्व अधिकारियों-कर्मचारियों और काश्तकारों ने संगठित रूप से दस्तावेजों में हेरफेर कर बैक डेट में भूमि की 143 की। तत्कालीन एसएलओ डीपी सिंह और उनके कार्यालय के कर्मचारियों ने गलत रिपोर्ट प्रस्तुत कर करोड़ों रुपये का गलत मुआवजा वितरण कर सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचाया।


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