चाय फैक्ट्री के लिए 13.7 नाली जमीन आवंटित, कफलांग में प्रक्रिया शुरू
चाय विकास बोर्ड ने चंपावत के कफलांग में चाय की बड़ी फैक्ट्री लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। करीब पांच करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली चाय फैक्ट्री की प्रोसेसिंग क्षमता प्रतिवर्ष 50 हजार किलोग्राम से अधिक होगी।इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड के प्रबंधक डेसमंड ने बताया कि कफलांग में चाय की फैक्ट्री के लिए 13.7 नाली जमीन का आवंटन हुआ है। इसमें जल्द ही फैक्ट्री का निर्माण किया जाएगा।
चाय बोर्ड की ओर से जून 2013 में चंपावत के लीसा फैक्ट्री परिसर में चाय की छोटी फैक्ट्री लगाई गई थी। इसके बाद से जिले में चाय की खेती का रकबा लगातार बढ़ रहा है। जिले में वर्तमान में चाय की खेती से 500 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है, जिनमें 90 फीसदी महिलाएं शामिल हैं। चाय प्रबंधक डेसमंड के अनुसार 2014 से चंपावत में उत्पादित चाय कोलकाता में होने वाली अंतरराष्ट्रीय नीलामी में भी भेजी जा रही है।
इन गांवों में विकसित किए जा रहे हैं चाय बागान
जिले में चाय की खेती का क्षेत्रफल लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में यहां 220 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में चाय का उत्पादन हो रहा है। जिले के सिलिंगटाक, मुडियानी, सुयालखर्क, चौकी, त्यारकूड़ा, लमाई, भगानाभंडारी, लधौना, नरसिंहडांडा, कालूखांड, भरछाना, खेतीगाढ, गोसनी, बलांई, फोर्ती, मंच दुबडजैनल, डिगडई, चौड़ाराजपुरा, गड़कोट, धौन, मझेड़ा, मटेला आदि जगहों पर चाय के नए बागान विकसित किए जा रहे हैं।
स्वाद और खुशबू के लिए प्रसिद्ध है चंपावत की चाय
जिले में उत्पादित चाय जैविक होने के साथ ही उम्दा महक और अनूठे स्वाद के लिए खासी मशहूर है। यहां उत्पादित चाय में किसी भी तरह के रसायन, रंगों का प्रयोग नहीं किया जाता है जिस कारण ताजगी देने वाली जैविक चाय को सेहतमंद भी माना जाता है। इसमें एंटी ऑक्सिडेंट होता है, जो शारीरिक क्षमता की गिरावट की गति को भी कम करता है।