April 19, 2024

जीएसटी लागू, पर असमंजस बरक़रार

मोदी सरकार ने ‘एक देश-एक कर’ कहे जाने वाले गुड्ज़ एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) की शुरुआत को स्वतंत्रता के 70 साल बाद से अब तक का सबसे बड़ा टैक्स सुधार का नाम दिया है.

मोदी सरकार ने इसे एक ऐतिहासिक अवसर कहा और इसे लागू करने के लिए जगह का चुनाव भी सोच कर किया.

मध्यरात्रि को एक घंटे से अधिक वक्त तक जारी जश्न का इंतज़ाम संसद के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में किया गया था. सेंट्रल हॉल में नए कारपेट बिछाए गए थे. इसके साउंड सिस्टम को बेहतर बनाया गया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में ज़ोर देकर सेंट्रल हॉल की ऐतिहासिक भूमिका को गिनाया.

प्रधानमंत्री ने सेंट्रल हॉल की अहमियत गिनाते हुए आगे कहा, “उस सदन में जहाँ कभी 14 अगस्त 1947 को रात के 12 बजे देश की वो पवित्र महान घटना का ये स्थान साक्षी है”.

“रात्रि 12 बजे इस सेंट्रल हॉल में हम एक साथ आए हैं, सेंट्रल हॉल की इस घटना के साथ हम याद करते हैं 9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक”.

वित्त मंत्री अरुण जेटली बहुत संतुष्ट नज़र आ रहे थे. सेंट्रल हॉल के जश्न में सबसे पहले वही बोले, “हम वस्तु और सेवा कर के लागू होने के साथ इतिहास बनाने की प्रक्रिया में शामिल हैं”.

सेंट्रल हॉल में देश के बड़े और अहम 1000 के क़रीब लोगों को जश्न में शामिल होने का न्योता दिया गया था, जिन में राज्यों के मुख्यमंत्री, दोनों सदनों के सांसद, पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा, विपक्ष के नेता और मनोरंजन जगत से अमिताभ बच्चन और लता मंगेशकर जैसी हस्तियों को बुलाया गया था.

जीएसटी के शुभारंभ को देश की क़िस्मत को बदलने वाली घटना बताई जा रही है. कहा जा रहा है कि आधुनिक भारत के इतिहासकार देश के इतिहास को दो भागों में बाटेंगे – जीएसटी से पहले का स्वतंत्र भारत और जीएसटी के लागू करने के बाद का भारत.

तो जीएसटी के बाद वाला देश कैसा होगा? इसकी झलक अरुण जेटली के भाषण में मिली.

उन्होंने हमें बताया कि जीएसटी लागू हुए भारत में अब चुंगियों के सामने ट्रकों की लम्बी क़तारें नहीं होंगीं, टैक्स के ऊपर टैक्स नहीं लगेगा. एक वस्तु का दाम अलग-अलग राज्य में अलग-अलग नहीं होगा. इसका दाम देश भर में एक होगा.

वित्त मंत्री ने हमें बताया कि देश के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि होगी और टैक्स का जाल फैलेगा. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इससे भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी और पारदर्शिता बढ़ेगी.

हर विशेषज्ञ के पास अलग-अलग राय है. हर नेता की समझ अलग है. लेकिन जीएसटी क्या है, इससे फायदा क्या होगा, ये अधिकतर व्यापारियों और ग्राहकों की समझ से बाहर नज़र आता है.

एक ग्राहक ने कहा, “जीएसटी ग़रीबों के ऊपर जज़िया कर है”. तो इसका मतलब ये ज़बरदस्ती थोपा कर है? ग्राहक ने कहा लगता तो ऐसा है.

कुछ ने कहा जीएसटी पुराने वैल्यू एडेड टैक्स की तरह है. अधिकतर लोगों का फोकस था 28 प्रतिशत टैक्स जो उन्हें मंज़ूर नहीं था. कई ज़रूरी वस्तुओं पर ज़ीरो टैक्स को सभी नज़रअंदाज़ कर रहे थे.

कुछ ने ये भी कहा कि जीएसटी भी नोटबंदी की तरह है. एक दुकानदार ने कहा, “जब नोटबंदी लागू हुआ तो किसी को नहीं मालूम था आगे क्या होगा. अब जीएसटी लागू हो रहा है. किसी को नहीं मालूम आगे क्या होगा”.

जिन लोगों को जीएसटी की जानकारी थी वो भी कह रहे थे कि आगे यानी 1 जुलाई के बाद क्या होगा ये कहना कठिन है.

इसका विरोध भी हो रहा है. मगर वित्त मंत्री कहते हैं शुरू के चंद महीनों में कुछ कठिनाइयां हो सकती हैं लेकिन जीएसटी को वापस नहीं लिया जा सकता है.


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