नोटबंदी का नकद लेन-देन पर कोई असर नहीं, 21.41 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा
देश में नकदी में होने वाले लेन-देन में रिकॉर्ड स्तर पर उछाल देखने को मिला है. एक रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर 2016 में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लगाई गई नोटबंदी से पहले देश में 17.97 लाख करोड़ रुपये की नकदी सर्कुलेट हो रही थी. वहीं, 15 मार्च, 2019 को देश में कुल कैश सर्कुलेशन (सीआईसी) 21.41 लाख करोड़ रुपये हो गया. इसे देश की वित्तीय व्यवस्था में नकदी की वापसी माना जा रहा है.
इंडियन एक्सप्रेस ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ताजा डेटा के आधार पर बताया कि मार्च 2018 को सीआईसी 18.29 करोड़ रुपये था. यानी एक साल में ही इसमें तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. ऐसा तब है जब मौजूदा केंद्र सरकार नोटबंदी के समय से लगातार डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा दे रही है.
रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद जनवरी, 2017 तक सीआईसी नौ लाख करोड़ रुपये तक आ गया था. अधिकारी जाली नोटों और कालेधन को नोटबंदी लगाने की मुख्य वजह बता रहे थे. वहीं, सरकार और आरबीआई ने कई तरह के नकद भुगतानों पर रोक लगा दी. फिर भी अर्थव्यवस्था में अधिकतर लेन-देन नकदी में ही होते रहे. हालांकि नोटबंदी से डिजिटल लेन-देनों में बढ़ोतरी हुई है. लेकिन ताजा आंकड़ों से साफ है कि इसका नकद लेन-देनों पर कोई असर नहीं पड़ा है.
कई बैंकरों का कहना है कि चुनाव से पहले नकद लेन-देन में बढ़ोतरी होना सामान्य बात है. वहीं, मानसून के बाद अक्टूबर महीने में फसलों की कटाई शुरू हो जाती है जिसके बाद नकदी की मांग बढ़ने लगती है. उसके बाद त्योहारी सीजन शुरू होता है जिसमें सोना, वाहन जैसी चीजों की बिक्री ज्यादा होती है. ऐसे में कैश की मांग भी बढ़ जाती है. इसके अलावा आरबीआई की 2018 की रिपोर्ट बताती है कि पुनर्मुद्रीकरण में आई तेजी की वजह से सीआईसी का विस्तार हुआ है. इस कारण बैंक के आरक्षित कोष में वृद्धि हुई और सीआईसी भी बढ़ गया.