April 20, 2024

प्रधानमंत्री द्वारा जनसभा को दिए गये संबोधन के मुख्य अंश

मेरे प्‍यारे भाइयो और बहनों।

सा‍थियों, जैसा अनुभव किसान को अपनी लहलहाती फसल को देख करके होता है; जैसा अनुभव कुम्‍हार को सुंदर सा घड़ा, मिट्टी के बर्तन; मिट्टी के दीए बनाता है, तो बनने के बाद उसे जैसा सुखद अनुभव होता है; जैसा अनुभव किसी बुनकर को सुंदर सी कालीन बनाकर उसके मन को जो प्रसन्‍न्‍ता होती है; वैसा ही अनुभव इस वक्‍त मुझे हो रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे अब से कुछ देर पहले, मैं सवा सौ करोड़ देशवासियों की इच्‍छाओं को, उनकी भावनाओं को जी करके यहां आया हूं।

घोघा से दहेज के रास्‍ते में समंदर पर बिताए हुए एक-एक पल के दौरान, मैं यही सोचता रहा कि बीतता हुआ ये समय एक नया इतिहास लिख रहा है, एक नए भविष्‍य के दरवाजे खोल रहा है। इसी द्वार से चलकर हम ‘New India’ का मजबूत आधार रखेंगे, New India का सपना साकार करेंगे। देश की जनशक्ति से ही और उसके सही इस्‍तेमाल करने का सपना, सरदार पटेल से ले करके डॉक्‍टर बाबा साहेब अम्‍बेडकर तक सभी ने देखा था। आज हमने उनके सपने से जुड़े हुए एक पड़ाव को पार कर लिया है।

घोघा-दहेज के बीच ये ferry सौराष्‍ट्र और दक्षिण गुजरात के करोड़ों-करोड़ों लोगों की जिंदगी को न सिर्फ आसान बनाएगा, बल्कि उन्‍हें और निकट ले आएगा।

इस ferry service से पूरे क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास का एक नया दौर शुरू होगा। रोजगार को जो नौजवान इस व्‍यवस्‍था का फायदा उठाएंगे; रोजगार के नए अवसर उपलब्‍ध होंगे। Coastal Shipping और Coastal Tourism का भी एक नया अध्‍याय इसके साथ जुड़ने वाला है। भविष्‍य में हम सब इस ferry service से…. और यहां आए हुए लोग ध्‍यान से सुनें, भविष्‍य में हम इस ferry service से हजीरा, पीपावाओ, जाफराबाद, दमनदीव, इन सभी महत्‍वपूर्ण जगहों के साथ ferry service जुड़ सकती है।

मुझे बताया गया है कि सरकार की तैयारी आने वाले वर्षों में इस ferry service को सूरत से आगे हजीरा और फिर मुम्‍बई तक ले जाने की योजना है। कच्‍छ की खाड़ी में भी इस तरह प्रोजेक्‍ट शुरू करके किए जाने की चर्चा चल रही है। उन्‍होंने काफी काम आगे बढ़ाया है। और मैं राज्‍य सरकार को उनके इन प्रयासों के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और भारत सरकार की तरफ से पूरा सहयोग मिलेगा, इसका मैं विश्‍वास दिलाता हूं।

सरकार का ये प्रयास दहेज समेत पूरे दक्षिण गुजरात के विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का एक जीता-जागता उदाहरण है। भड़ूच समेत दक्षिण गुजरात में औदयोगिक विकास की गति को तेज करने के लिए दहेज और हजीरा जैसे केन्‍द्रों पर हमने सविशेष ध्‍यान केन्द्रित किया है। Petroleum, Chemicals & Petrochemicals Investment Regions की स्‍थापना के साथ ही rail network, road linkages, उस पर जो काम हुआ है, शायद पहले किसी ने सोचा तक नहीं होगा।

हजीरा में भी infrastructure के विकास पर जोर लगाया गया है। आने वाले वर्षों में दिल्‍ली-मुम्‍बई Industrial Corridor का लाभ भी इन क्षेत्रों को मिलने वाला है। गुजरात का maritime development पूरे देश के लिए एक model है। मुझे उम्‍मीद है कि Ro-Ro ferry service का project भी दूसरे राज्‍यों के लिए एक model project की तरह काम करेगा।

हमने जिस तरह वर्षों की मेहनत के बाद इस तरह के project में आने वाली दिक्‍कतों को समझा, उसे दूर किया, उन दिक्‍कतों कम सो कम आएं, भविष्‍य में अगर नया project बनाना है; उस दिशा में गुजरात ने बहुत बड़ा काम किया है।

सा‍थियों, आज से नहीं सैंकड़ों वर्षों से जल-परिवहन के मामले में भारत दूसरे देशों से बहुत आगे रहा था। हमारी technique दूसरे देशों से कहीं ज्‍यादा श्रेष्‍ठ हुआ करती थी। लेकिन ये भी सही है कि गुलामी के बड़े कालखंड के दौरान हमने अपनी श्रेष्‍ठताओं को अपने इतिहास से सीखना धीरे-धीरे कम कर दिया, भूलते चले गए। नए innovation कम होने के साथ ही जो क्षमताएं थीं, वो भी धीरे-धीरे इतिहास का हिस्‍सा बन गईं। वरना जिस देश की navigation क्षमताओं का लोहा सदियों से पूरी दुनिया मानती रही हो, उसी देश में स्‍वतंत्रता के बाद water transport पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया, भुला दिया गया।


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