बाड़मेर हादसा : डेढ़ मिनट में तहस-नहस हो गया पंडाल, 18 श्रद्धालुओं की मौत
राजस्थान के बाड़मेर स्थित जसोल धाम में रामकथा के दौरान तेज आंधी से एक पंडाल गिर गया। भगदड़ के दौरान दम घुटने और करंट फैलने से 18 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। हादसे में 50 से अधिक लोग घायल हैं। मौके पर मौजूद लोगों ने हादसे की आपबीती बताई। लोगों ने बताया कि पंडाल लगभग 20 फीट ऊपर तक उड़ा फिर नीचे गिरा। उसके बाद लोहे के पाइप में करंट दौड़ गया, जिससे सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।
घटना के समय हवा की रफतार 80 से 100 किमी प्रति घंटा थी। करीब डेढ़ मिनट में ही पूरा पंडाल तहस-नहस हो गया। किसी को संभलने का भी मौका नहीं मिला। लोगों का आरोप है कि पंडाल का फाउंडेशन बेहद कमजोर था। वह सिर्फ दो फीट के फाउंडेशन पर खड़ा था। कथा के दौरान पंडाल में करीब 400 श्रद्धालु मौजूद थे। घटना के बाद जसोल धाम में अफरा-तफरी मच गई।
प्रभावित परिवारों से मिले मुख्यमंत्री
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सोमवार सुबह बाड़मेर के जसोल गांव पहुंचे। उन्होंने जसोल हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात की और उन्हें सांत्वना दी, ढांढस बंधाया। गहलोत राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा, राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, उर्जा मंत्री बीडी कल्ला व अन्य नेताओं के साथ जसोल गांव पहुंचे।
उन्होंने प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और मारे गए लोगों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। गहलोत घटनास्थल भी गए और अधिकारियों से हादसे की जानकारी ली। उन्होंने स्थानीय लोगों से भी बातचीत की। गहलोत ने संवाददाताओं से कहा, ‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। जांच की जाएगी।’ उन्होंने अस्पताल में व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया।
केंद्रीय राज्य मंत्री ने घायलों से की मुलाकात
केंद्रीय राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने पंडाल गिरने से घायल हुए लोगों से अस्पताल में मुलाकात की। घायलों से मिलने के बाद कैलाश चौधरी ने कहा कि ये घटना दर्दनाक है। मैं मरने वालों और उनके परिवार के सदस्यों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।
उन्होंने आगे कहा कि मैं प्रशासन के संपर्क में हूं। मैंने गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री से बात की है। सीएम द्वारा घोषित मुआवजा प्रभावितों तक पहुंच गया है। जसोल में रविवार अपरान्ह को एक रामकथा के दौरान पंडाल गिरने से 14 लोगों की मौत हो गयी व लगभग 50 अन्य घायल हुए। घायलों का यहां के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
ये हैं हादसे के कारण
- कथा दोपहर 2 बजे शुरू हुई, हादसा से पहले ही आंधी के साथ बूंदाबांदी शुरू हो गई थी। बारिश के बाद भी कथा को जारी रखा गया।
- पंडाल गिरते ही करंट दौड़ा तो बिजली काट दी गई लेकिन वहां लगे दो ऑटोमैटिक जनरेटर स्टार्ट हो गए।
- मुरलीधर महाराज मारवाड़ के प्रसिद्ध कथावाचक हैं। उनके कार्यक्रमों में काफी भीड़ आती है। फिर भी प्रशासन ने सुरक्षा संबंधी तैयारियों का जायजा नहीं लिया।
- पंडाल में हवा पास होने के लिए जगह ही नहीं छोड़ी गई थी। जब तूफानी हवा आई तो पंडाल में भर गई। बवंडर ने पंडाल को ऊपर की ओर उड़ा लिया।