सेना पर सियासत? कई पूर्व सैनिकों ने चिट्ठी को बताया फर्जी, राष्ट्रपति भवन ने भी नकारा
चुनाव प्रचार में भारतीय सेना और जवानों की तस्वीर के इस्तेमाल का मामला गर्माता जा रहा है. शुक्रवार सुबह खबर आई कि 150 से अधिक पूर्व सैनिकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी लिख इसपर शिकायत की है. लेकिन राष्ट्रपति भवन ने इस तरह की किसी भी चिट्ठी मिलने से इनकार किया.
राष्ट्रपति भवन की ओर से कहा गया है, ‘’उन्हें इस प्रकार की कोई चिट्ठी प्राप्त नहीं हुई है, जिसमें पूर्व सैनिकों का नाम है.’’
इसके अलावा इस चिट्ठी में जिन पूर्व सैनिकों का नाम शामिल है, उन्हीं में से एक रिटायर्ड एयर मार्शल एनसी सूरी ने भी कहा है कि उन्होंने इस प्रकार की किसी चिट्ठी पर हस्ताक्षर नहीं किया है.
उनके अलावा जनरल एस.एफ. रोड्रिग्स ने भी इस प्रकार की चिट्ठी में अपना नाम होने से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि पता नहीं ये कहां से आया है, मैं अपनी पूरी ज़िंदगी राजनीति से दूर रहा हूं. 42 साल के करियर में मैंने राजनीति की बात नहीं की है. मैं नहीं जानता कि किन लोगों ने इस प्रकार की गलत खबर फैलाई है.
बता दें कि चुनाव में सेना और वर्दी का इस्तेमाल होने पर इन सैन्य अधिकारियों ने आपत्ति जताई थी. चिट्ठी में कुल 156 पूर्व सैनिकों के हस्ताक्षर होने का दावा है, जिसमें पूर्व जनरल एसएफ रोड्रिग्स, पूर्व जनरल शंकर राय चौधरी, पूर्व जनरल दीपक कपूर जैसे बड़े सैनिकों का नाम शामिल है.
चिट्ठी सामने आने के बाद कांग्रेस ने भी केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा था. कांग्रेस ने ट्वीट किया था कि भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सेना के नाम पर वोट मांग लें, लेकिन सेना सिर्फ देश की है बीजेपी की नहीं.
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में भारतीय सेना को ‘मोदी जी की सेना’ कहकर संबोधित किया था. इसके अलावा दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी भी एक रैली में सेना की वर्दी में नजर आए थे. इस पर विपक्षी पार्टियों ने आपत्ति जताई थी और चुनाव आयोग से शिकायत की थी.
चुनाव आयोग ने भी यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. और आगे इस प्रकार का बयान ना देने की हिदायत भी थी.