April 20, 2024

आरएसएस मुख्यालय में प्रणब मुखर्जी के चर्चित भाषण की 10 अहम बातें

पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी गुरुवार को नागपुर पहुंचे. प्रणब मुखर्जी ने यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के हेडक्वाटर में जो भाषण दिया वो हर जगह चर्चा में है. मुखर्जी की विचारधाराओं और सकारात्मक बोल ने संघ में दिए गए उनके भाषण को खास बना दिया है.

वरीष्ठ बीजेपी नेता राम माधव ने प्रणब दा के भाषण की तारीफ करते हुए कहा कि प्रणब दा और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के भाषणों में एक-दूसरे के लिए सम्मान साफ तौर देखा जा सकता है. उन्होंने ये भी कहा कि दोनों नेताओं ने देश को एक महान संदेश दिया है.

जबकि दूसरी ओर कांग्रेस नेता रनदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रणब दा के भाषण को संघ के हेडक्वाटर में संघ को ही आइना दिखाने वाला बताया है.

    • ” मैं यहां अपने देश भारत के प्रति अपनी समझ, राष्ट्रीयता और देशभक्ति साझा करने आय़ा हूं. “
    • भारतीय राष्ट्रीयता सिर्फ एक देश, एक भाषा, एक धर्म या एक दुश्मन नहीं बल्कि यहां के लोगों की सदाबहार सार्वभौमिकता का नाम है.
    • भारत की शक्ति इसकी सहिष्णुता और विविधता से है, हम अपनी विविधिता का जश्न मनाते है.
    • हमें हमारे लोगों को हर तरह के डर और हिंसा से आजाद करना है.
    • भारत की आत्मा उसकी सहिष्णुता और विवधता में है. सदियों से लोगों की विचारधाराओं से ये विविधता हमें मिली है. धर्मनिरपेक्षता हमारे विश्वास का हिस्सा है.
    • हमारी राष्ट्रीयता को धर्म, क्षेत्र और नफरत के नाम पर परिभाषित करने की कोशिश हमें हमारी असली पहचान से दूर कर देगी.
    • हमारे संविधान में राष्ट्रवाद बहता है. भारतीय राष्ट्रीयता की बुनियाद संवैधानिक देशभक्ती है.
    • हमारी राष्ट्रीय पहचान मेल-मिलाप से उभरी है. अलग-अलग संस्कृतियां और उनमें हमारा विश्वास ही हमें खास और सहिष्णु बनाता है.
  • जब हम संसद में जाते हैं तो गेट नंबर छह की लिफ्ट के ठीक उपर कौटिल्य का एक विचार लिखा है जिसमें कहा गया है, लोगों की खुशी में ही राजा की खुशी है. लोगों के सुख में ही राजा का सुख है. कौटिल्य, भारत के संविधान से भी पहले केंद्र में लोगों को रखते हैं.


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