March 29, 2024

उत्तराखंड में अभी तक हुई 100 फीसदी कम बारिश

देहरादून। आप अगर उत्तराखंड में कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर गए हैं तो आपने इस दौरान रास्ते में पड़ने वाले पर्वतों पर ‘ॐ’ की आकृति जरूर देखी होगी। यह दृश्य आमतौर पर मई-जून में देखने को मिलता है लेकिन इस बार अभी से ‘ॐ’ की आकृति दिखने को मिल रही है। मौसम विभाग ने इसके पीछे का कारण ग्लोबल वॉर्मिंग को बताया है। दरअसल इस साल देश में सर्दी के तेवर वैसे देखने को नहीं मिले जिसका सभी को इंतजार होता है। सर्दी की शुरुआत से ही हिमाचल और उत्तराखंड में बारिश के साथ बर्फ के आसार बढ़ जाते हैं लेकिन इस बार दोनों ही जगहों पर ज्यादा  बर्फबारी नहीं हुई है। सर्दी जनवरी के आखिरी दिनों में पहुंच गई है लेकिन अभी तक बर्फ और बारिश के आसार नहीं दिख रहे हैं। सेब की फसल के लिए भी ऐसा मौसम चिंता का कारण हैं। वहीं कम बर्फबारी के चलते इस बार गर्मियों में पानी की समस्या भी पैदा हो सकती है।

हर वर्ष सर्दियों में जहां मैदानी इलाकों में हल्की बारिश होती है वहीं हिमाचल प्रदेश में भी काफी बारिश होती है लेकिन इस बार हिमाचल में भी बहुत कम बारिश हुई तो उत्तराखंड में 100 फीसदी बारिश कम हुई। जनवरी माह खत्म होने को है लेकिन मैदीन इलाके भी इस बार सर्दी की बारिश से अछूते हैं। मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले अगले 5-6 दिनों में भी बारिश की कोई संभावना नहीं दिख रही है। सर्दी के शुरुआती दिन यानि कि दिसंबर में ऊपरी इलाकों में बर्फबारी हुई तो वहीं 2-3 दिन तक मैदानी इलाकों में बारिश हुई थी लेकिन उसके बाद से निचले इलाकों में सूरज की चमक ही रही। हालांकि जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों और हिमालय के ऊपरी क्षेत्रों हल्की बर्फबारी और बारिश जरूर हुई। इतना ही नहीं लोगों को शिमला में बर्फबारी का काफी इंतजार रहता है लेकिन जनवरी माह तक भी यहां न तो बर्फबारी हुई न ही बारिश।

मौसम विभाग ने बताई ये वजह
मौसम विभाग के मुताबिक अगर इस महीने भी मौसम शुष्क बना रहा तो यह 11 वर्षों में पहली बार होगा जब हिमाचल की राजधानी बिना बर्फबारी के रह जाएगी। हालांकि संभावना जताई जा रही है कि 24 जनवरी तक बारिश हो सकती है लेकिन इसकी भी पुष्टि नहीं की जा रही है। क्षेत्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव के मुताबिक ठंडी लहरें और नमी युक्त हवाएं दक्षिणी यूरोप और पश्चिमी एशिया से आती हैं, जो उत्तर भारत में बारिश के मौसम का प्रमुख श्रोत हैं। इस बार पछुआ हवाओं की स्थिति पश्चिम की ओर बहुत ज्यादा सामान्य रही। इनका असर उत्तरी जम्मू-कश्मीर में ज्यादा रहा लेकिन अन्य क्षेत्रों में पछुआ हवाएं शक्तिहीन देखी गईं। जिसके कारण अन्य भागों में बारिश और बर्फबारी कम हुई।


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