69 फीसदी भारतीय युवा साम्प्रदायिकता को मानते हैं बड़ा ख़तरा-सर्वे
भारत में कामकाजी आयु-वर्ग के लोगों का एक बड़ा तबका ऐसा मानता है कि पिछले तीन वर्षों में दुनिया काफी बंट गई है। सर्वे कहता है कि इनमें सबसे बड़ा ख़तरा धार्मिक भिन्नता और राष्ट्रीय राजनीति है।
वेस्टर्न यूनियन की तरफ से किए गए सर्वे में ऐसा कहा गया- “सर्वें में करीब 69 फीसदी युवाओं ने यह माना कि साल 2015 की तुलना में दुनिया कहीं ज्यादा बंट गई है। दस में से पांच से ज्यादा लोगों का ऐसा मानना है कि 2030 तक यह और बढ़ेगा।”
सर्वे कहता है कि युवा या फिर वे लोग जिनका जन्म 1980 से 1990 के आखिर तक हुआ है वे ऐसा मानते हैं कि ग्लोबल सिटिजनशिप, सीमा रहित समाजों को लिए धार्मिक भिन्नता और कट्टरता सबसे बड़ा ख़तरा है। उसके बाद अप्रवासी और नस्लीय खतरा है।
सर्वे में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर जहां नस्लवाद और अप्रवासी बड़ा ख़तरा है तो वहीं दूसरी तरफ भारत में धार्मिक भिन्नता और कट्टर राष्ट्रवाद की राजनीति अन्य से ज्यादा बड़ा खतरा है।