April 19, 2024

69वां गणतंत्र दिवस परेड: 90 मिनटों में दुनिया ने देखी भारत की ताकत

शुक्रवार को सिर्फ 90 मिनटों में देश और दुनिया ने न सिर्फ भारत की ताकत देखी बल्कि भारत के विविध रंगों को भी देखा। हर रंग-संस्कृति-धर्म-क्षेत्र को समेटे अनूठे कार्यक्रम के साथ देश का गणतंत्र एक कदम और आगे बढ़ा और मजबूत हुआ। खास बात इस बार यह भी थी कि एक-दो नहीं बल्कि दस देशों के राष्ट्राध्यक्ष इस मौके पर मौजूद रहे। दिल्लीवालों ने भी इस मौके पर पूरे दिन जश्न मनाया।

गणतंत्र दिवस पर पहली बार दिखाई गई इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की झांकी आकर्षण का केंद्र रही। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ थीम के साथ झांकी में ब्लैक मनी को खत्म करने के लिए उठाए गए कई कदमों को दर्शाया गया। भारतीय नौसेना की झांकी में ‘मेक इन इंडिया’ और आईएनएस विक्रांत की झलक दिखाई दी। भारतीय वायुसेना की झांकी में महिला शक्ति का प्रदर्शन भी किया गया। इस बार आकाशवाणी की झांकी में रेडियो पर महात्मा गांधी के पहले संदेश के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ का प्रदर्शन किया गया। गणतंत्र दिवस समारोह में आसियान देशों के दस राष्ट्राध्यक्षों की मौजूदगी के चलते झांकियों में भी आसियान देशों के साथ भारत के रिश्तों की बानगी देखने को मिली। विदेश मंत्रालय की झांकी सबसे अधिक फोकस में रही। इनकी ओर से दो झांकी निकाली गईं। पहली झांकी आसियान, शिक्षा और व्यापार पर केंद्रित रही। इसमें आगे की ओर महाबोधि मंदिर और बोधि वृक्ष दिखाया गया। साथ ही प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की झलक और रामायण का रूपांतरण भी प्रदर्शित किया गया। मध्य प्रदेश की झांकी में सांची स्तूप समेत बौद्ध धर्म के प्राचीन केंद्रों की झलक देखने को मिली। गुजरात की झांकी पूरी तरह महात्मा गांधी के रंग में रंगी दिखाई दिखी। इसमें साबरमती आश्रम के 100 साल, बुराई के खिलाफ संदेश देते महात्मा गांधी के तीन बंदर और गांधी निवास ‘हृदय कुंज’ का प्रदर्शन किया गया। छत्तीसगढ़ की झांकी में 300 BC की रामगढ़ रंगशाला प्रदर्शित की गई। महाराष्ट्र की झांकी में छत्रपति शिवाजी के राजतिलक को दर्शाया गया। दिल्ली पुलिस की झांकी भी लोगों के आकर्षण का केंद्र रही। शांति-सेवा और न्याय थीम के साथ दिल्ली पुलिस ने अपनी झांकी निकाली।

पैरा मिलिट्री की एंट्री : कई सालों बाद इस बार गणतंत्र दिवस के परेड में पैरा मिलिट्री की ओर से भी झांकी निकाली गयी। आईटीबीपी के हिमवीर जवान जब परेड पर उतरे तो समां बंध गया। माइनस 45 डिग्री में ड्यूटी करने वाले ये जवान बेहद कठिन हालात में देश की रक्षा करते हैं। एसएसबी के जवानों ने जब ‘जोश भरा है सीने में, है हथेलियों पर जान’ गाने के साथ अपनी झांकी निकाली तो मौजूद लोगों ने उसी अंदाज में इनका हौसला भी बढ़ाया। हाल के दिनों में सीमा पर अपनी वीरता के कई मिसाल देने वाले बीएसएफ के बैंड से भी लोग प्रभावित हुए।

हवा में जांबाजी, रुक गया वक्त

वायु सेना के अत्याधुनिक विमानों ने परेड स्थल के ऊपर आसमान में दस्तक दी। राजपथ पर राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट की ओर महज 300 मीटर की ऊंचाई पर वायुसेना के तीन एएलएच एमके डब्ल्यूएसआई हेलीकॉप्टरों ने फ्लाइट मार्च का आगाज किया। अस्त्र शस्त्र से लैस 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ते तीनों हेलीकॉप्टरों की यूनिट का नेतृत्व विंग कमांडर अभिषेक शुक्ला ने किया। हिंडन एयरबेस से उड़ान भरकर राजपथ पर पहुंची हेलीकॉटर यूनिट ने ‘रुद्र फॉरमेशन’ की। इसके बाद वायुसेना के बहुमुखी तीन युद्धक हरक्युलिस विमान राजपथ के ऊपर से गुजरे। 300 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ रहे सफेद रंग के इन विमानों ने लेह जैसे अत्यंत ऊंचे बर्फीले इलाकों में देश की सीमाओं को महफूज रखने का एहसास कराया। इस यूनिट की कमान संभाल रहे ग्रुप कैप्टन एस गोपी मोहन का साथ दो और विमानों के पायलट विंग कमांडर मंदीप चहल और विंग कमांडर शिशिर सुकांत ने दिया। फिर आसमान में अत्याधुनिक रडार युक्त तीन लड़ाकू विमानों ने ‘नेत्र’ की आकृति बनाते हुए दस्तक दी। दुश्मन विमान को आकाश में 400 किमी की दूरी से पहचान सकने में सक्षम अर्ली वार्निंग सिस्टम से लैस मल्टीरोल फाइटर विमानों की यूनिट का नेतृत्व ग्रुप कैप्टन सुमित गर्ग ने किया। इन विमानों को वायु सीमाओं का सबसे सजग प्रहरी का दर्जा दिया गया है। इसके बाद वायु सेना के सबसे तेजतर्रार सुखोई 30 विमानों की गड़गड़ाहट से आसमान गूंज उठा। स्वदेश निर्मित तीन युद्धक तेजस विमानों ने 780 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरते हुए आसमान में ‘विक्टरी फार्मेशन’ कर आसमान में अजेय होने की अपनी पहचान को सही साबित किया। पांच जगुआर और पांच मिग 29 विमानों ने एक-एक कर उड़ान भरकर आसमान में हैरतअंगेज कारनामे दिखाए। धुंआ उगलते तीन सुखोई 30 एमकेआई विमानों ने राजपथ पर 300 मीटर की ऊंचाई पर तीन अलग दिशाओं में आसमान चीरते हुये त्रिशूल की आकृति बनायी। वायु सेना के अत्याधुनिक एसयू 30 एमकेआई विमान के पायलट ग्रुप कैप्टन हरप्रीत लूथरा ने 900 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा में कलाबाजी करते हुये ‘वर्टिकल चार्ली’ बनाया और फिर आंखों से ओझल होकर गणतंत्र दिवस परेड को अंजाम तक पहुंचा दिया।

पहुंचे जम्मू-कश्मीर के 500 बच्चे : गणतंत्र दिवस के रोमांच में जम्मू-कश्मीर के करीब 500 स्कूली बच्चे भी शामिल हुए। एचआरडी मिनिस्ट्री की ‘मैत्री यात्रा’ पहल के तहत जम्मू-कश्मीर के यह बच्चे दिल्ली आए हुए हैं। मिनिस्ट्री की इस पहल का मकसद जम्मू-कश्मीर राज्य के बच्चों का शेष भारत के साथ मेल-जोल बढ़ाना है। इसी के चलते बच्चों को गणतंत्र दिवस की परेड दिखाने की योजना भी बनायी गई।

‘सीमा भवानी’ ने जीता सबका दिल

जैसे ही राजपथ पर सीमा भवानी नजर आईं लोगों की आंखों में चमक आ गई। यह वुमर पावर का एक बेहतरीन उदाहरण रहा। सीमा सुरक्षाबल के मोटरसाइकिल सवार दल ”सीमा भवानी” ने आसियान के 10 देशों के नेताओं और शासनाध्यक्षों की मौजूदगी में अपने साहसिक करतब दिखाए। दल का नेतृत्व सब इंस्पेक्टर स्टेंजीन नोरयांग ने किया। इन रोमांचक प्रदर्शनों की श्रृंखला में सीमा सुरक्षाबल की 106 महिला कर्मियों ने 26 मोटर साइकिलों पर करतब दिखाए। उनके करतबों ने परेड देखने पहुंचे बच्चों-बूढ़ों सभी में रोमांच भर दिया। राजपथ पर सीमा भवानी के आते ही सोशल मीडिया पर भी इतनी चर्चा होने लगी।

ऐसे बनी सीमा भवानी : सीमा सुरक्षाबल की मोटरसाइकिल सवार टीम ‘सीमा भवानी’ मोटर ट्रांसपोर्ट सेंटर स्कूल की स्थापना ‘बीएसएफ अकादमी टेकनपुर’ में 20 अक्तूबर 2016 को की गई थी। ‘सीमा भवानी’ का यह बल ‘बीएसएफ अकादमी टेकनपुर’ के स्वर्ण जयंती समारोह और नई दिल्ली में ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ पर भी अपने साहसिक करतब दिखा चुका है। ‘सीमा भवानी’ के ऑफिसर इंचार्ज डिप्टी कमांडेंट रमेश चंद्र ने बताया कि जब यह डेयरडेविल टीम बनानी शुरू की तो सबसे बड़ा चैलेंज यह था कि इस टीम में करीब 70 फीसदी महिलाओं को साइकल चलाना तक नहीं आता था। सिर्फ 3 मेंबर्स को स्कूटी चलाना और 2 को मोटरसाइकिल चलाना आता था। सबसे पहले इन सबको मोटरसाइकल चलाना सिखाया गया उसके बाद फेज वाइज ट्रिक राइडिंग की ट्रेनिंग दी गई।


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