April 23, 2024

आर्थिक सुधारों के बाद भारत में लोगों की आमदनी में असमानता तेजी से बढ़ी

नई दिल्ली। भारत में 1980 के दशक में डीरेग्युलेशन और रिफॉर्म्स यानी सुधारों का दौर शुरू होने के बाद से लोगों के बीच आर्थिक असमानता में भारी वृद्धि हुई है। देश में सबसे अधिक कमाने वाले 0.1 प्रतिशत लोगों की ग्रोथ आमदनी के लिहाज से नीचे के 50 प्रतिशत में मौजूद लोगों से अधिक हो रही है।

वर्ल्ड इनक्वलिटी लैब ने गुरुवार को जारी अपनी पहली वर्ल्ड इनइक्वलिटी रिपोर्ट में कहा, ‘2014 में भारत की राष्ट्रीय आमदनी में आमदनी के लिहाज से शीर्ष 1 प्रतिशत लोगों की हिस्सेदारी 22 प्रतिशत थी, जबकि शीर्ष 10 प्रतिशत का इसमें लगभग 56 प्रतिशत हिस्सा था। सबसे अधिक कमाने वाले 0.1 प्रतिशत लोगों की ग्रोथ आमदनी के लिहाज से नीचे के 50 प्रतिशत लोगों से अधिक हो रही है।’ नीचे के 50 प्रतिशत लोगों की अब कुल आमदनी में हिस्सेदारी घटकर लगभग 15 प्रतिशत रह गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘बढ़ती असमानता का यह ट्रेंड 1947 में देश की स्वतंत्रता के बाद 30 वर्षों से विपरीत है, जब आमदनी में असमानता काफी कम हो गई थी और नीचे के 50 प्रतिशत लोगों की आमदनी राष्ट्रीय औसत से अधिक बढ़ी थी।’ रिपोर्ट में बताया गया है कि 1980 के बाद से दुनिया भर में सबसे धनी 1 प्रतिशत लोगों ने दुनिया की जनसंख्या में सबसे निर्धन 50 प्रतिशत से अधिक ग्रोथ हासिल की। अन्य शब्दों में, 1980 के बाद से दुनिया भर में पैदा हुई सभी नई आमदनी में से 27 प्रतिशत सबसे धनी 1 प्रतिशत लोगों के पास गई, जबकि सबसे निर्धन 50 प्रतिशत लोगों के पास कुल ग्रोथ का केवल 13 प्रतिशत आया।

रिपोर्ट को इकॉनमिस्ट फाकुंडो अल्वारेदो, लुकास चांसेल, थॉमस पिकेटी, इमेनुएल साएज और गैब्रिएल जुकमैन ने तैयार किया है। इसमें कहा गया है, ‘इन आंकड़ों से एक बड़ी असमानता का पता चलता है क्योंकि टॉप 1 प्रतिशत में अभी 7.5 करोड़ व्यक्ति, जबकि नीचे के 50 प्रतिशत में लगभग 3.7 अरब व्यक्ति हैं।’ यह पूंजी के मालिकाना हक में बड़े बदलाव का संकेत है।

रिपोर्ट तैयार करने में शामिल रहे साएज ने कहा, ‘निजीकरण और आमदनी में बढ़ती असमानता से संपत्ति में असमानता में बढ़ोतरी हुई है। देशों में और वैश्विक स्तर पर प्राइवेट कैपिटल कुछ ही व्यक्तियों में सीमित होती जा रही है।’ रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि उभरते हुए देश अगर 1980 से बाद की अपनी नीतियों पर चलना जारी रखेंगे तो वैश्विक आमदनी और संपत्ति में असमानता तेजी से बढ़ेगी।

इसमें कहा गया है कि वैश्विक आमदनी और संपत्ति में असमानता की समस्या से निपटने के लिए देशों की और वैश्विक कर नीतियों में बड़े बदलाव करने की जरूरत है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘शैक्षिक नीतियों, कॉर्पोरेट गवर्नेंस और वेतन तय करने वाली नीतियों का बहुत से देशों में दोबारा आकलन करने की जरूरत है। आमदनी और संपत्ति में वर्तमान असमानता से निपटने और भविष्य में इसमें बढ़ोतरी को रोकने के लिए भविष्य के मद्देनजर इन्वेस्टमेंट करने की जरूरत है।


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