एशियन डवलपमेंट बैंक के कंट्री डायरेक्टर केनेची योकोयामा ने बृहस्पतिवार को मुख्य सचिव राजीव कुमार के सामने प्रदेश के विकास के लिए यूपी इन्फ्रास्ट्रक्चर फ्रेमवर्क प्लान के निष्कर्षों का प्रजेंटेशन दिया। इसमें सरकार की घोषणाओं व प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए 19 जिलों को 11 सेक्टर व छह क्लस्टर में बांटकर 1.5 लाख करोड़ रुपये के पूंजी निवेश की झलक पेश की गई है। इससे लाखों की संख्या में रोजगार के सृजन का दावा किया गया है। प्रदेश सरकार ने पहले चरण में छह में से तीन क्लस्टर (पश्चिम, मध्य व पूर्वी) में काम शुरू करने का फैसला किया है।
अपर मुख्य सचिव नियोजन संजीव सरन ने बताया कि एडीबी ने इन 19 जिलों की तरक्की के लिए 11 सेक्टर्स का चयन किया है। इनमें फूड प्रोसेसिंग एवं बेवरेजेज, लेदर व संबंधित उत्पाद, बेसिक मेटल्स एवं फैब्रिकेटेड मेटल उत्पाद, केमिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, परिधान, ऑटो मोबाइल कंपोनेंट व शीशे के उत्पादों के रूप में आठ मुख्य संगठित सेक्टर की पहचान की गई है। इसके अंतर्गत करीब 242 मल्टी सेक्टोरल परियोजनाएं चिह्नित की गई हैं। वन डिस्ट्रिक्ट-वन उत्पाद प्रोजेक्ट पर भी फोकस करने की सलाह दी गई है।
प्रजेंटेशन में सब्यसाची मित्रा डिप्टी कंट्री डायरेक्टर, अशोक श्रीवास्तव सीनियर प्रोजेक्ट ऑफिसर (शहरी), कनुप्रिया गुप्ता प्रोजेक्ट ऑफिसर इकोनॉमिक्स एंड स्किल्स आदि उपस्थित रहे।
छह जोन के 19 जिले
पश्चिमी क्षेत्र – गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, बुलंदशहर, अलीगढ़ व मेरठ।
दक्षिण पश्चिमी क्षेत्र- आगरा, फिरोजाबाद।
मध्य क्षेत्र – कानपुर नगर, उन्नाव, लखनऊ।
उत्तरी क्षेत्र – अमरोहा, बिजनौर, मुरादाबाद।
पूर्वी क्षेत्र- वाराणसी, सोनभद्र, इलाहाबाद व गोरखपुर।
बुंदेलखंड क्षेत्र – झांसी व चित्रकूट।
आईटी सेक्टर में प्रदेश की बढ़ती ताकत
– पिछले साल देश में 22.5 करोड़ मोबाइल बने। इनमें 50 प्रतिशत का निर्माण यूपी में हुआ।
– 22.5 करोड़ मोबाइल फोन 1 लाख 37 हजार करोड़ रुपये कीमत के थे। इससे यूपी को 67 से 70 हजार करोड़ रुपये का कारोबार मिला।
– पिछले साल देश से हुए सॉफ्टवेयर के निर्यात में 67 हजार करोड़ की हिस्सेदारी यूपी की रही। अकेले नोएडा व ग्रेटर नोएडा का 6 प्रतिशत शेयर रहा।
– देश में 120 कंपनियां मोबाइल बना रही हैं। इनमें 60 का कार्यक्षेत्र यूपी है।
– इलेक्ट्रॉनिक्स कम्पोनेंट के उत्पादन में यूपी का 27 प्रतिशत योगदान है। इसे 41 प्रतिशत तक किया जा सकता है।
– प्रदेश में कुल दुग्ध उत्पादन का मात्र 30 प्रतिशत ही संगठित तरीके से प्राप्त हो पाता है। ऐसे में दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
सेक्टरवार इस तरह बढ़ाया जाए निवेश
सड़कों का विकास–50 प्रतिशत
नगरीय क्षेत्र का विकास–14 प्रतिशत
रेलवे –14 प्रतिशत
एयरपोर्ट–11 प्रतिशत
लॉजिस्टिक–7 प्रतिशत
इंडस्ट्रियल पार्क इन्फ्रास्ट्रक्चर–2 प्रतिशत
बिजली–1 प्रतिशत