April 24, 2024

जूना अखाड़ा ने पहली बार दलित साधु को दी ‘महामंडलेश्वर’ की उपाधि

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में शामिल जूना अखाड़े ने एक दलित संत को धर्माचार्य की बड़ी पदवी देने की घोषणा की है. इलाहाबाद के मौजगिरी आश्रम में जूना अखाड़े के साधु-सन्तों की मौजूदगी में दलित संत कन्हैया कुमार कश्यप दीक्षा और संस्कार के बाद कन्हैया प्रभुनंद गिरी बन गए हैं. सनातन संस्कृति के इतिहास में किसी दलित को महामंडलेश्वर उपाधि देने का अखाड़े का यह पहला निर्णय है.

जूना अखाड़े ने एक दलित संत को धर्माचार्य के बड़े पद पर बिठाने की तैयारी पूरी कर ली है. हालांकि अखाड़ों की बैठक के बाद ही उनकी पदवी की घोषणा की जाएगी. जूना अखाड़ा के संत पंचानन गिरी के मुताबिक सनातन धर्म में बड़े पैमाने पर कुरीतियां रही हैं, जिससे धर्म का पतन हो रहा था. उन्होंने कहा कि कुरीतियों को रोकने के लिए जूना अखाड़े ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की सहमति से ही दलित संत को धर्माचार्य की पदवी देने के लिए उनका संस्कार कराया है.

उनके मुताबिक सनातन धर्म में कई दलित संत हुए हैं, जिनका सभी ने पूरा सम्मान भी किया है. इसलिए आज सनातन धर्म को बचाने के लिए योग्य दलित को भी धर्माचार्य पद के लिए घोषित किया जा रहा है. उनके मुताबिक आने वाले कुम्भ में ऐसे और भी दलित संतों को, जो कि योग्य हैं उन्हें भी धर्माचार्य की बड़ी पदवी दी जाएगी.

कन्हैया कुमार कश्यप से कन्हैया प्रभुनंद गिरी बने दलित संत का कहना है कि उन्होंने कभी जीवन में ऐसी कल्पना नहीं की थी कि अनुसूचित जाति से होने के बाद भी बड़े धर्माचार्य के पद पर कभी आसीन हो सकते हैं. हांलाकि शुरु से ही हिन्दू धर्म के ग्रन्थों में कन्हैया कुमार कश्यप की गहरी रुचि रही है, जिसके चलते उन्होंने संस्कृत विषय से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 2016 के उज्जैन से सिंहस्थ कुंभ में पंचानन गिरी से दीक्षा लेकर सन्यास लिया था.

कन्हैया प्रभुनंद गिरी अब सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार को जीवन का उद्देश्य बताते हुए ऐसे लोगों की घर वापसी का संकल्प ले रहे हैं, जिन्होंने किन्हीं प्रलोभनवश हिन्दू धर्म को छोड़कर कोई दूसरा धर्म अपना लिया है.


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com