पाकिस्तान को आतंकी पनाहगाहों को खत्म करने के लिए राजी कर सकता है चीन,अमेरिका ने किया दावा
वाशिंगटन । पाकिस्तान में आतंकियों की सुरक्षित पनाहगाह को ध्वस्त करने को दृढ़ अमेरिका को चीन से उपयोगी भूमिका की उम्मीद है। ह्वाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चीन करीबी सहयोगी पाकिस्तान इस बात के लिए राजी कर सकता है कि आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई उसके अपने हित में भी है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आतंकियों के सुरक्षित पनाहगाह को नष्ट करना अफगानिस्तान और क्षेत्र में स्थिरता के लिए जरूरी है।
नाम न बताने की शर्त पर अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान और चीन के बीच ऐतिहासिक और करीबी सैन्य संबंध हैं। साथ ही चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) के साथ उनके बीच आर्थिक संबंध भी बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद की समस्या पर चीन अमेरिका की कुछ चिंताओं को साझा करता है। अमेरिका इस मामले में अन्य क्षेत्रीय देशों के साथ काम करना चाहता है जिनमें चीन एक प्रमुख हो सकता है।
अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि चीन अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच संबंध सुधारने में उपयोगी भूमिका निभा रहा है। इसलिए इससे सहमत नहीं हूं कि आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए वह पाकिस्तान को मनाने में मदद नहीं करेगा। चीन भी दक्षिण एशिया में आतंकवाद को लेकर चिंतित है। पाकिस्तान की स्थिरता और सीपीईसी में चीन की रुचि है। इसलिए पाकिस्तान में आतंकवादियों का सुरक्षित पनाहगाह चीन के हित में भी नहीं है। उन्होंने कहा कि चीन-पाकिस्तान संबंध पहले से ही मजबूत हैं। अब करीब दो अरब डॉलर की अमेरिकी सैन्य सहायता रोके जाने के बाद पाकिस्तान चीन की तरफ मुड़ेगा।
फंड रोकने पर भी अमेरिका से जुड़े रहेंगे : पाकिस्तान
पाकिस्तान ने कहा है कि करीब दो अरब डॉलर की सैन्य सहायता रोके जाने के बावजूद वह जहां तक संभव होगा अमेरिका के साथ काम करता रहेगा। अखबार डान के मुताबिक, पाक विदेश सचिव तहमीना जंजुआ ने कहा कि ऐसा केवल इसलिए नहीं कि अमेरिका वैश्विक शक्ति है, बल्कि क्षेत्र में उसकी मौजूदगी भी है। वह हमारे लिए पड़ोसी जैसा है।
नए साल पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड बयान पर उन्होंने कहा कि बयान कई कारणों से आया। पाकिस्तान इसका विश्लेषण कर रहा है। उन्होंने इस संबंध में अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती के रूप में चीन के सैनिक और आर्थिक शक्ति के रूप में उदय और अफगानिस्तान में अमेरिका-भारत साठगांठ का जिक्र किया।