पूर्वांचल के दो दिन के दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यूपी का सियासी एजेंडा सेट कर गए। दो दिन के उनके भाषणों और गतिविधियों ने यह साफ कर दिया कि आने वाले दिनों में ध्रुवीकरण को धार मिलेगी। विरोधी दलों की मुस्लिम हितैषी छवि भाजपा के निशाने पर होगी।
मुस्लिम महिलाओं की अनदेखी के मुद्दे पर भी उन्हें घेरा जाएगा। पर विकास कार्यों के साथ। चुनावी समर में 2014 के वादे के मुताबिक मोदी पांच साल के कामों का रिपोर्ट कार्ड तो देंगे, लेकिन विरोधियों की खामियां और कमजोरियां भी निशाने पर होंगी। उनकी कथनी-करनी का भेद बताने पर भी जोर रहेगा।
मोदी शायद यह बात बखूबी समझते हैं कि 2014 की तरह 2019 का चुनावी रथ भी उन्हें अकेले अपने ही कंधों पर खींचना है। इसीलिए उन्होंने दो दिन के दौरे में जहां भाजपा की सरकारों को काम करने वाली और चुनावी वादों पर अमल करने वाली साबित करने की कोशिश की तो लोगों के दिमाग में यह बैठाने पर भी जोर दिया कि वादे पूरे करने के मामले में विरोधी दल भाजपा के मुकाबले कहीं नहीं ठहरते।
मुस्लिम महिलाओं को वोट बैंक से बाहर निकालने की कोशिश की
दोनों दिन काम का एजेंडा सेट करने की कोशिश करते हुए मोदी ने यह भी ध्यान रखा कि उनके हिंदुत्ववादी होने का संदेश बना रहे। वे मुस्लिम वोटों की गणित को कमजोर करने की चिंता से भी मुकाबला करते दिखे। इसीलिए उन्होंने तीन तलाक के सवाल को उछालकर मुस्लिम महिलाओं को मुस्लिम वोट बैंक से बाहर निकालने की कोशिश की।
दूसरे दिन रविवार को किसान बहुल, लेकिन विकास के लिहाज से उपेक्षित रहे मिर्जापुर पहुंचे तो उन्होंने बाण सागर के बहाने यह संदेश दिया कि भाजपा विरोधी राजनीतिक दल वादे करके वोट तो लेते रहे, लेकिन वादों को पूरा करने की चिंता नहीं की।
इस बहाने उन्होंने यह भी बता दिया कि पूर्वांचल की तरक्की को जितने कामों का शिलान्यास करके वे जा रहे हैं, वह समय से तभी पूरे हो पाएंगे जब इस बार भी इस इलाके के लोगों का साथ भाजपा को मिलेगा।
संकेतों से इस तरह दिया संदेश
मोदी ने कदम-कदम पर समीकरणों व सियासी चुनौतियों का ध्यान रखा। प्रतीकों के सहारे बात करने में निपुण मोदी ने बनारस में रात में सड़क पर निकलकर यह संदेश देने की कोशिश की कि वह अपने संसदीय क्षेत्र के विकास के कामों की जमीनी फीडबैक की चिंता करते हैं।
आधी रात सड़कों पर निकले मोदी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करके यह भी संदेश दिया कि प्रधानमंत्री और सांसद होने के बावजूद वह काशी के आम लोगों जैसे ही आस्थावान हैं। वह आम भक्तों जैसे ही हैं, इसलिए आधी रात में काशी विश्वनाथ मंदिर जाने के बजाय विश्वविद्यालय के मंदिर में आए।
राजनीति शास्त्री प्रो. एसके द्विवेदी कहते हैं मोदी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। वर्षों पहले की अटकी परियोजनाओं को पूरा कराकर और उनका उद्घाटन करके यह साबित करने की कोशिश की है कि वे काम करने वाले पीएम हैं। नई परियोजनाओं का शिलान्यास करके यह संदेश देने का भी प्रयास किया है कि इन्हें समय से पूरा कराने के लिए इस बार भी भाजपा की सरकार ही बनवाना होगा।
विरोधियों को काम न करने वाला साबित करने की कोशिश
मोदी ने जिस तरह बाणसागर परियोजना का लोकार्पण करते हुए अटकी और भटकी परियोजनाओं को लाइन पर लाने की बात कही और किसानों को डेढ़ गुना समर्थन मूल्य को भी मुद्दा बनाते हुए लोगों के दिमाग में यह बैठाने का प्रयास किया कि यह सिफारिश कई वर्षों से सरकार की फाइलों में दबी पड़ी थी, लेकिन किसी ने चिंता नहीं की। इससे साफ हो गया कि विरोधियों को वह काम न करने वाला साबित कहने की कोशिश में हैं।
आगे मोदी की 21 जुलाई को शाहजहांपुर में किसान कल्याण रैली और 29 जुलाई को लखनऊ में 64 परियोजनाओं का शिलान्यास भी चुनाव के मद्देनजर एजेंडे को सेट करने की ही एक कड़ी है।