April 20, 2024

विश्लेषण: आंकड़े बताते हैं कि वाकई घटी हैं सरकारी नौकरियां

रोजगार के आंकड़ों को लेकर पिछले कुछ दिनों से लगातार बहस चल रही है। खुद केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री ने कहा था कि आरक्षण रोजगार देने की गारंटी नहीं है, क्योंकि सरकारी नौकरियां कम हो रही हैं। 

अगर आंकड़ों की पड़ताल करें तो यह बात वाकई सही लगती है कि ज्यादा सरकारी नौकरियां नहीं हैं। राजनीतिक बहस के बीच रोजगार सृजन को लेकर एनएसएसओ के ताजा आंकड़ा आने तक इंतजार करना होगा। पर हम कुछ और आंकड़ों को देख सकते हैं। आरक्षण का कितना लाभ मिला यह जानने के लिए सरकारी क्षेत्र के आंकड़े ही देखे जा सकते हैं क्योंकि इसी सेक्टर में आरक्षण मिलता है।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी संगठित क्षेत्र ( सरकारी और निजी) में 1971-72 से 2011-12 के दौरान के रोजगार के आंकड़े बताता है। 1971-72 में सार्वजनिक क्षेत्र में 62.54 फीसदी नौकरियां थी जो 2011-12 में घटकर 59.53 फीसदी रह गईं। 

अस्सी के दशक तक सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार बढ़ रहा था। पर नब्बे के दशक में उदारीकरण की नीति आने के बाद तस्वीर बदलने लगी। इसके बाद भारत सरकार आर्थिक गतिविधियों के कई क्षेत्रों से अपना हाथ खींचने लगी। ऐसे में केंद्रीय मंत्री का बयान अपवाद हो सकता है जो ईमानदार बयान है।

सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार तेजी से बढ़ा

यह तथ्य है कि संगठित क्षेत्र में कुल रोजगार सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार की तुलना में तेज गति से बढ़ा है। निजी क्षेत्र में कोई आरक्षण नहीं है। निजी क्षेत्र में सबसे ज्यादा रोजगार की बात करें तो वह आईटी के क्षेत्र में आया है। दूसरी ध्यान देने वाली बात है कि नौकरियों में आरक्षण की मांग हाल के दिनों में सबसे ज्यादा प्रमुख कृषि समुदायों के बीच से उठी है। पिछले दो दशक से किसान संगठनों ने सबसे ज्यादा नौकरियों की मांग उठाई है क्योंकि कृषि कार्य में ज्यादा आमदनी नहीं होने से उन्हें निराशा है।


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