बड़ी ख़बरः भाजपा के खटमलों पर हरीश का ‘हिट’ भारी, बहुगुणा की घर वापसी के कयास जारी
प्रदीप थलवाल
देहरादूनः सियासत में शाह और मात का खेल चलता रहता है। राजनीति की बिसात पर कब कौन किसे पटकनी दे कह नहीं सकते। उत्तराखंड की सियासत में इन दिनों खूब घमासान मचा है। लोकसभा चुनाव नजदीक है लिहाजा राजनीति का हरेक क्षत्रप अपने औजार नुकीले कर वार करने को बैठा है। घात और भितरघात का दौर शुरू होने वाला है। उससे पहले सियासी पठकथा का कथानक तैयार किया जा रहा है। जिसकी स्क्रिप्ट राजनीति के वार रूम से दूर एकांत में लिखी जा रही है। भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं। दोनों राष्ट्रीय दल पहाड़ की राजनीति में दमखम दिखाने को आतुर है। लेकिन यह बात भी दीगर है कि दोनों पार्टी दल बदलुओं के भय से भयभीत है। कब कौन किसके कुनबे में शामिल हो जाय कह नहीं सकते। कांग्रेस के मुकाबले भाजपा इस भय से ज्यादा भयभीत है। उसके कई क्षत्रप अपने पुराने सियासी अड्डे पर कूच करने की फिराक में है। लेकिन राजनीति की गणित को बरीकी से समझने वाले हरीश रावत चैकन्ने हैं। उन्होंने अपने फेसबुक वाल पर शब्दों का जो ताना-बाना बुना, उस इशारों को समझिये। आखिर रावत ने किन खटमलों की बात की है।
सेना को औजार बना कर अपने फेसबुक वाॅल पर हरीश रावत ने कोसा तो भाजपा और उसकी नीतियों को है, लेकिन भाजपा में जिन ‘खटमलों’ की उन्होंने बात कही वह मामूली नहीं है। दरअसल ‘खटमल’ वह परजीवी है जो एक जगह से दूसरी जगह टपक पड़ता और आम आदमी का खून चूसता है। फेसबुक के जरिये हरीश रावत का तंज उन लोगों के लिए था जो कांग्रेस से भाजपा और फिर अब भाजपा से कांग्रेस में आने की जुगत में हैं।
यह बात आम है कि हाल के दिनों में कांग्रेस के बागी घर वापसी की कोशिश में जुटे है। सतपाल महाराज से लेकर विजय बहुगुणा और कई भाजपा विधायक कांग्रेस के संपर्क में है। हालांकि महाराज ने प्रेस कांफ्रेस कर साफ किया वह वापसी के पक्ष में नहीं है। लेकिन सूत्रों की माने तो महाराज से लेकर बहुगुणा और अन्य बागी की घर वापसी में हरीश का ‘हिट’ रोड़ा अटका रहा है। हरीश रावत ने खुलकर तो नहीं बल्कि इशारों में साफ कर दिया कि भाजपा में कई खटमल है। हरीश रावत जानते हैं कि पहाड़ की जनता ‘खटमल’ होने का मतलब बखूबी समझती है, लिहाजा उनका संदेश बड़ा स्पष्ट है कि ‘खटमल’ पर उनका ‘हिट’ भारी पडे़गा।