April 25, 2024

बड़ी ख़बर: राफेल बना मनीष खंडूडी के कांग्रेस में जाने की वजह

शक्ति सिंह बर्त्वाल
देहरादूनः पहाड़ी सियासत में इस बार राफेल विमान सौदा बड़ा उलटफेर करेगा। इसके संकेत मिलने शुरू हो गये हैं। दरअसल देश की राजनीति में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बी.सी.खंडूडी की छवि एक ईमानदार नेता की रही है। लिहाजा भाजपा ने खंडूडी की ईमानदारी को हमेशा भुनाया। लेकिन इस बार खंडूडी की ईमानदारी भाजपा के बड़ा संकट पैदा कर सकती है। तो वहीं कांग्रेस इस मुद्दे को चुनाव में जरूर भुनाना चाहेगी।


मनीष खंडूडी

हाल के दिनों में पहाड़ की राजनीति में खंडूडी तो नहीं लेकिन उनके बेटे की चर्चा आम है। बी.सी. खंडूडी भाजपा के कद्दावर और ईमानदार छवि के नेता है लेकिन उनका बेटा मनीष खंडूडी ने भाजपा की जगह कांग्रेस को प्राथमिकता दी। राहुल गांधी की उत्तराखंड में चुनावी रैली प्रस्तावित है और उसी दिन मनीष खंडूडी कांग्रेस में शामिल हो जायेंगे। मनीष खंडूडी कांग्रेस का दामन यूं ही नहीं थामने जा रहे हैं। सूत्रों की माने तो मनीष के कांग्रेस में जाने की वहज राजनीतिक नहीं है बल्कि यह बेदाग छवि वाले जनरल खंडूडी के स्वाभिमान का बदला है। ये सब कुछ ऐसे ही नहीं हुआ है। इसके पीछे राफेल विवाद भी जुड़ा है।

जिस राफेल की खरीद को बीजेपी कांग्रेस का झूठा प्रचार बता रही है। उसी राफेल सौदे को लेकर प्रधानमंत्री सीधे तौर पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के निशाने पर हैं। राफेल खरीद में बड़ा घोटाला हुआ है। विमान की खरीद-फरोख्त को लेकर बी. सी. खंडूडी ने भी सवाल किये थे। जिस कारण जनरल खंडूडी को संसद की रक्षा समिति के अध्यक्ष पद से हाथ धोना पड़ा था। जिसके बाद खंडूडी ने बीजेपी से दूरी बनानी शुरू कर दी थी और यहां तक कह डाला था कि पार्टी अब कुछ बदली-बदली सी है।

मनीष खंडूडी के कांग्रेस में शामिल होते ही भाजपा राफेल के मुद्दे पर और घिर जायेगी। खंडूडी के करीबियों की माने तो मनीष के पास राफेल से जुड़े ऐसे दस्तावेज हैं जो भाजपा के लिए सर दर्द का करण बन सकती है। इस बात की जानकारी भाजपा हाईकमान को भी है। इसलिए भाजपा ने अंदरखाने डैमेज कंट्रोल करना शुरू कर दिया है और खंडूडी को पौड़ी संसदीय सीट से उम्मीदवार के तौर पर पेश किया गया है जबकि एक सप्ताह पहले भाजपा ने खंडूडी को नकार दिया था।

बीसी खंडूरी का क्या था गुनाह?

मार्च में खंडूडी ने स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट संसद में रखी। रिपोर्ट में कहा गया कि सेना के 68 फीसदी हथियार पुराने हैं, विंटेज कैटेगरी के हैं। 24 प्रतिशत कंटेम्परेरी हैं, सिर्फ 8 फीसदी ही मॉडर्न हैं। बजट प्रोविजन बहुत कम है और आधुनिकीकरण पर इस साल दिए 22,000 करोड़, जबकि सिर्फ पुराने, कमिटेड प्रोजेक्ट के लिए भी कम हैं, 29,000 करोड़ तो वही चले जाएंग।.

कमेटी ने ये भी बताया कि सेना प्रमुखों ने कमेटी के सामने कहा कि पूरे बजट का कम से कम 22-25 प्रतिशत नई जरूरतों के लिए चाहिए, जबकि बजट में मिली रकम है 14 प्रतिशत

ये सब कोई ऐसी बात नहीं, जो पहले से सबको न मालूम हो, लेकिन खंडूरी की रिपोर्ट का एक मकसद था कि रक्षा मंत्रालय की नौकरशाही को झकझोरा जाए और फौज को नई चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए ताकतवर बनाया जाए। इस रिपोर्ट में कहा गया कि हथियार बेचने वाली कंपनी को भारत में निवेश करना होग। आत्मनिर्भर बनेंगे, रोजगार मिलेगा। अब हम राफेल सौदे का हाल देख रहे हैं, जो सवालों के घेरे में है।

अब आपको ये जानकर झटका लगेगा कि डिफेंस में एफडीआई में ढील के बाद देश में एफडीआई के 34 प्रस्ताव आए हैं, कुल निवेश आया है 90 करोड़ रुपए का। ये अप्रूवल और पेंडिंग मिला कर है। 2014-17 के बीच कुल एफडीआई निवेश के महज 1.17 करोड़ रुपए आए हैं। खंडूरी हों या फौज की असली हालत की बात- ये खबर इतनी मामूली है कि नगाड़ों के शोर में दब जाती है।

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नगाड़ा बजाने वाले लोग सेना का पॉलिटिकल इस्तेमाल करते हैं। बड़े जनरल पॉलिटिकल बयान देते हैं। आपके इंस्टंट ग्रैटिफिकेशन के लिए सेना से मुंबई में मामूली रेल पुल बनवाते हैं। वो सोचते हैं कि देशप्रेम के नारे का कूल एड पीकर फौजी उन पर फिदा हैं, तो उनको आगाह कर दिया जाना चाहिए कि फौज के लोग और देश के गांव-कस्बों में उनके परिवार के लोग मौजूदा हाल से व्यथित हैं, चिंतित हैं। सीमा पर हमारे जवान लड़ रहे हैं, ये डायलॉग हंटर की तरह चलाने वालों को इस बात का इल्म नहीं है।


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