बड़ी ख़बर: कर्नल कोठियाल की दावेदारी पर भाजपा की विचारधारा पड़ी भारी!
शक्ति सिंह बर्त्वाल
भाजपा के उत्तराखंड लोकसभा चुनाव प्रभारी थावरचंद गहलोत की कर्नल (रिटायर) अजय कोठियाल से हुई गुफ्तगू परवान नही चढ पायी। कर्नल अजय कोठियाल की दावेदारी को बीजेपी आलाकमान ने विचारधारा के आधार पर खारिज कर दिया। जिससे एक बार फिर गढ़वाल संसदीय सीट पर सियासी पारा चढ़ गया है। माना जा रहा है कि कर्नल कोठियाल की भाजपा में जल्द ज्वाइनिंग हो सकती है, लेकिन उन्हे टिकट नही दिया जायेगा।
बीजेपी सूत्रों ने बताया कि बृहस्पतिवार रात को गहलोत और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाॅह के बीच कर्नल कोठियाल लेकर चर्चा हुयी। जिसमें यह तय किया गया कि अजय कोठियाल को पार्टी में शामिल तो किया जायेगा, लेकिन लोकसभा चुनाव का प्रत्याशी नही बनाया जायेगा। जिसके बाद से यह साफ हो गया है कि अब पौडी संसदीय सीट से बीजेपी के पास दो प्रबल दावेदार है जिसमें नौसेना के रियर एडमिरल ओम प्रकाश सिंह राणा एनएसए डोभाल के बेटे शौर्य है। उधर बीजेपी कर्नल कोठियाल के सैन्य पृष्ठभूमि से लेकर केदारनाथ पुनर्निर्माण और यूथ फाउंडेशन का भी पूरा फायदा चुनाव में उठााना चाहती है, लेकिन कर्नल की अपनी कोई राजनीतिक विचारधारा न होने का कारण भी उनकी दावेदारी कमजोर हुयी है। दरसल कोठियाल को छात्र राजनीति में खासी दिलचस्पी है, लेकिन वह कभी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) तो कभी एनएसयूआई और आर्यन छात्र संगठन के साथ साथ जय हो ग्रुप को भी चुनावी फंडिंग करते रहे।
बीजेपी के बडे नेताओं को लग रहा है कि पैरासूट प्रत्याशियों को टिकट तो दिया जा सकता है, लेकिन ऐसे उम्मीदवार को टिकट देना भारी पड सकता है जो दोनों राष्ट्रीय पार्टी के संर्पक में हो। इस लिए आर.एस.एस ने मोर्चा समाल लिया है और वोट बैंक को लेकर सीधा संवाद कार्यकर्ताओं के साथ किया जा रहा है। बात अगर कर्नल कोठियाल की करे तो कोठियाल नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के प्रधानाचार्य पद से अगस्त,18 में रिटायरमेंट के बाद यूथ फाउंडेशन संस्था के जरिए गढ़वाल में युवाओं को भर्ती के लिए तैयार कर रहे हैं। जिसका सीधा फायदा बीजेपी लेना चाहती है। उधर कर्नल कोठियाल के निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भी मैदान में उतरने की चर्चा है। उधर बीजेपी सूत्रों ने बताया कि कर्नल कोठियाल की पूरी तरह से घेराबंदी कर दी गयी है। चुकि केदारनाथ पुर्ननिर्माण को लेकर पहले ही सीएजे की रिर्पोट कर्नल की दावेदारी को कमजोर कर चुकी है। ऐसे में अगर अजय कोठियाल निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरते है तो उनके लिए आगे की राह काफी कठिन हो जायेगी।