April 20, 2024

राज्यसभा में आज पेश होगा तीन तलाक विरोधी बिल, कांग्रेस के रुख पर सबकी नजरें

नई दिल्ली। मुस्लिमों में एक बार में तीन तलाक कहने के चलन को फौजदारी अपराध बनाने संबंधी विधेयक को आज राज्यसभा में रखा जाएगा। लोकसभा में यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका है। एक बार में तीन तलाक या तलाके बिद्दत के अपराध में पति को तीन साल की सजा के प्रावधान वाले इस विधेयक को पिछले सप्ताह लोकसभा में पारित किया गया था। राज्यसभा की कार्यसूची के अनुसार मुस्लिम महिला (विवाह संबंधित अधिकारों का संरक्षण) विधेयक दो जनवरी को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद चर्चा एवं पारित कराने के लिए उच्च सदन में रखेंगे। इस बीच इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने दावा किया कि राज्यसभा में यदि यह विधेयक पारित हो जाता है तो विभिन्न मुस्लिम संगठन सुप्रीम कोर्ट की शरण लेंगे। राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है और इस बात की भी संभावना है कि इस विधेयक को व्यापक विचार विमर्श के लिए संसदीय समित के पास भेजा जाता है।

विपक्षी दलों से मशविरा करेगी कांग्रेस
कांग्रेस उस विवादास्पद विधेयक पर अपना रूख तय करने से पहले व्यापक विपक्ष से मशविरा करेगी जिसमें एकसाथ तीन तलाक को प्रतिबंधित करने और इसे संज्ञेय अपराध बनाने का प्रस्ताव किया गया है। सूत्रों के अनुसार ऊपरी सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में विधेयक पेश किए जाने से पहले अपनी पार्टी के नेताओं और अन्य पार्टी के नेताओं की आज संसद में अपने चैंबर में एक बैठक बुलाई है। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस विधेयक के पक्ष में है क्योंकि इसमें एकसाथ तीन तलाक पर रोक लगाने का प्रस्ताव है लेकिन क्या वह उसे प्रवर समिति को भेजने के लिए दबाव डालेगी या नहीं यह आज ही पता चलेगा। सूत्रों के मुताबिक पार्टी विधेयक में संशोधनों के लिए जोर डाल सकती है। इस बीच, एकसाथ तीन तलाक के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में एक याचिकाकर्त्ता भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने सांसदों को पत्र लिखकर विधेयक में तलाक देने के तरीके ‘तलाक ए अहसन’ को शामिल करने की मांग की जिसमें मध्यस्थता अनिवार्य है और यह तलाक की प्रक्रिया शुरू होने से पहले न्यूनतम 90 दिन तक चलती है।

विधेयक में प्रावधान
इस विधेयक में प्रावधान किया गया है कि तीन तलाक पीड़ित महिला अपने और अपने अल्पवय बच्चों के लिए गुजारा भत्ता पाने के मकसद से मजिस्ट्रेट से सम्पर्क कर सकती है। पीड़िता मजिस्ट्रेट से अपने अल्पवय बच्चों के संरक्षण की मांग कर सकती है। इस प्रस्तावित कानून के अनुसार मौके पर बोला गया तलाक, भले ही वह मौखिक, लिखित अथवा ईमेल, एसएमएस और व्हाट्स एप जैसे इलेक्ट्रानिक माध्यमों से हो, वह गैरकानूनी एवं निष्प्रभावी हो जाएगा।


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