कांग्रेस पर मनोवैज्ञानिक बढ़त के साथ चुनावी मैदान में भाजपा
देहरादूनः भारतीय जनता पार्टी हमेशा रणनीति के साथ मैदान में उतरती है। भाजपा ने प्रदेश की पांच सीट में से तीन सीटों पर सिटिंग सांसद पर दांव खेला जबकि दो सीट पर अपने पूर्व और वर्तमान प्रदेश अध्यक्षों को उतारा। प्रदेश की राजनीति में भाजपा के पांचों उम्मीदवार जाने पहचाने चेहरे हैं। जो कांग्रेस को थोड़ा परेशान कर सकता है। क्योंकि कांग्रेस अभी अपने प्रत्याशियों के चयन को लेकर पसोपेश में है। भाजपा कांग्रेस पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने में कामयाब रही है। जिसे वह यह कह कर प्रचारित कर रही है कि कांग्रेस ने भाजपा के सामने पहले ही हार मान ली है।
टिहरी पर रानी का राज
टिहरी संसदीय सीट पर भाजपा ने महारानी राज्य लक्ष्मी शाह को ही प्रत्याशी बनाया। महारानी लगातार इस सीट पर अपना दबदबा बनाये हुए है। भाजपा के आंतरिक सर्वे में इस सीट को ‘सी कैटेगिरी’ में रखा गया था। ऐसे में महारानी का टिकट कटना लगभग तय माना जा रहा था। लेकिन भाजपा ने सोच विचार कर महारानी पर ही दांव खेलना मुनासिब समझा। गौरतलब है कि टिहरी सीट राज परिवार की पारंपरागत सीट रही है जिस पर हमेशा उनका वर्चास्व रहा। इस सीट पर राज परिवार को सिर्फ दो बार हार का सामना करना पड़ा। इस बार महारानी एक बार फिर चुनावी मैदान में है।
निशंक फिर हरिद्वार से
रमेश पोखरियाल निशंक को उत्तराखंड की राजनीति में बड़ा नाम है। अपनी राजनीतिक चपलता के चलते वह प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर भी काबिज हुए। लेकिन दो वर्ष के भीतर विभिन्न आरोपों के चलते वह पद भी गवां बैठे। निशंक हरिद्वार से वर्तमान मंे सांसद हैं और भाजपा ने इस बार उन्हीं पर दांव खेलना उचित समझा। हालांकि हाल में निशंक पर प्रवासी होनी तोहमत भी लगी लेकिन हरिद्वार से आधा दर्जन विधायकांे ने उनके समर्थन में आकर उनका मनोबल बढ़ा दिया।
पौड़ी में तीरथ पर दांव
पौड़ी संसदीय सीट वर्तमान में भाजपा के कब्जे में है। इस सीट पर मेजर जनरल बी.सी. खंडूडी का वर्चस्व रहा है। लेकिन इस बार भाजपा ने अपने जनरल को रिटायर्ड कर मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया है। लिहाजा भाजपा ने इस बार राजनीतिक नफा-नुकसान को देखते हुए खंडूडी के चेले को ही उम्मीदवार घोषित किया। दरअसल हाल के दिनों में बी.सी. खंडूडी के बेटे मनीष खंडूडी का कांग्रेस में चले जाने से भाजपा ने सीट पर तीरथ सिंह रावत पर दांव खेलना उचित समझा।
अल्मोड़ा पर अजय टम्टा काबिज
अल्मोड़ा सीट पर भाजपा ने अपने सिटिंग सांसद अजट टम्टा को ही रिपीट किया। दरअसल भाजपा के पास इस सीट पर कोई बड़ा दलित चेहरा नहीं था। लिहाजा भाजपा ने अजट टम्टा को ही मैदान में उतारा। हालांकि इस सीट पर सोमेश्वर की विधायक और उत्तराख्ंाड सरकार में राज्य मंत्री रेखा आर्य ने आखिरी समय तक अपनी मजबूत दावेदारी पेश की लेकिन भाजपा ने सभी विकल्पों पर विचार कर अजय टम्टा को ही टिकट दिया।
नैनीताल से अजय भट्ट पर भरोसा
भगत सिंह कोश्यारी के चुनाव न लड़ने का फायदा सीधे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने उठाया। इस सीट पर कई भाजपा नेताओं ने दावेदारी की थी। लेकिन अजय भट्ट अपने प्रभाव से टिकट हासिल करने में कामयाब रहे। अजय भट्ट भाजपा प्रत्याशियों में एक मात्र नेता है जो अपना पिछला चुनाव हारे। भट्ट विधानसभा चुनाव में रानीखेत से बतौर प्रत्याशी रहे लेकिन वह अपनी ही सीट पर चुनाव हार गये। इसके बावजूद भाजपा ने अजट भट्ट पर भरोसा जताया है।
खैर भाजपा ने अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतार कर मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने की कोशिश की है। जल्द कांग्रेस भी अपने प्रत्याशियों का ऐलान करने वाली। जिससे साफ हो जायेगा कि किस प्रत्याशी के सामने क्या-क्या चुनौती है।