March 29, 2024

अलकनंदा रिजॉर्ट पर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में सहमति

देहरादून। प्रदेश सरकार को भले ही अब हरिद्वार स्थित अलकनंदा रिजॉर्ट मिल जाएगा लेकिन इसकी एवज में उसे उत्तर प्रदेश पर्यटन विकास परिषद को गंगा किनारे जमीन देनी होगी। इन दिनों शासन स्तर से इसके लिए भूमि तलाशने की कवायद जोरों पर है। कुछ जगह जमीन चिह्नित भी की गई हैं लेकिन अभी तक अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है।

अलकनंदा रिजॉर्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले ही उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश को फटकार लगाते हुए आपसी सहमति से इस मामले का निस्तारण करने के निर्देश दे चुका है। इसके बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के बीच लखनऊ में एक बैठक हुई जिसमें अलकनंदा रिजॉर्ट के मसले पर केंद्र के दिशा निर्देशों के अनुसार कदम उठाने पर सहमति बनी थी।

दरअसल, केंद्र सरकार वर्ष 2004 में अलकनंदा रिजॉर्ट को उत्तराखंड को देने की सहमति दे चुकी है। जब उत्तराखंड को यह रिजॉर्ट नहीं मिला तो इस पर फिर केंद्र से अपील की गई। हालांकि, तब तक यह मामला कोर्ट में चला गया था तो केंद्र इस पर कोई निर्णय नहीं ले सकता था। सुप्रीम कोर्ट ने तब इस पर सख्ती दिखाई तो उत्तर प्रदेश ने उत्तराखंड को यह तर्क दिया कि यह जमीन पर्यटन विकास परिषद की है। चूंकि यह कंपनी एक्ट में पंजीकृत है, इसलिए परिषद पूरे देश में कहीं भी जमीन क्रय कर सकता है। ऐसे में इसके बंटवारे का प्रश्न नहीं। हालांकि, कोर्ट के सख्त रुख को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने अलकनंदा रिजॉर्ट को देने पर तो सहमति जता दी लेकिन यह भी साफ किया कि इसकी एवज में उत्तराखंड को गंगा किनारे जमीन देनी होगी। अब प्रदेश सरकार हरिद्वार में गंगा किनारे जमीन को चिह्नित करने के कार्य में जुटी है। सूत्रों की मानें तो कुछ जमीनें उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को दिखाई गई हैं लेकिन ये नदी से काफी दूर हैं। ऐसे में अब नए सिरे से जमीन की तलाश की जा रही है ताकि कोर्ट में सुनवाई से पहले इस मसले को निस्तारित किया जा सके।


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