निकाय विस्तारीकरणः हाईकोर्ट ने सरकार को अपना पक्ष रखने का दिया निर्देश
उत्तराखंड सरकार ने निकाय विस्तारीकरण के तहत देहरादून के 72 गांवों सहित सूबे के 385 गांवों को विस्तारीकरण में शामिल करने का फैसला किया है। इन ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी लगभग 8 लाख 52 हजार 614 है जबकि भूमि का क्षेत्रफल 50 हजार 104 हैक्टेयर है। सरकार निकाय विस्तारीकरण के तहत जहां ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाएं और बेहतर करने का दावा कर रही है।
निकाय विस्तारिकरण को लेकर ग्रामीण में नारजगी भी है. डोईवाला विधानसभा क्षेत्र के कुड़कावाला गांव की उपप्रधान गुड्डी देवी ने हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की है। हाईकोर्ट ने निकाय विस्तारीकरण मामले पर यथा स्थिति बनाए रखते हुए सरकार से उसका पक्ष रखने की मांग की है। इस मामले में कोर्ट में अगली सुनवाई 6 मार्च को होनी है।
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि कोर्ट ने इस मामले में सरकार को स्टेटसको रखते हुए सभी बिंदुओं पर अध्ययन के बाद और जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट ने विस्तारीकरण की प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई है, बल्कि वर्तमान स्थिति को ही लागू किए रखने का निर्देश दिया है।
वरिष्ठ पत्रकार नीरज कोहली ने बताया कि इस विस्तारीकरण के पीछे की हकीकत राजनेताओं के साथ ही रियल स्टेट कारेबारी और अधिकारियों का गठजोड़ ही इसकी वास्तविकता है। जिन ग्रामीण क्षेत्रों को निकायों में शामिल किया गया है। इनमें भू-कानून प्रभावी नहीं होगा यानी जमीन के कारोबार का खेल आसान हो जाएगा।
गौरतलब है कि पूर्व की एनडी तिवाड़ी सरकार ने बाहरी क्षेत्रों के लोगों के लिए 500 वर्ग मीटर कृषि भूमि खरीदने का प्रावधान किया था। जबकि खंडूरी शासनकाल में इस भू कानून में संशोधन कर ढाई सौ वर्ग मीटर का प्रावधान कर दिया था, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के निकाय विस्तारीकरण की परिधि में लाए जाने के बाद भू अधिनियम लागू नहीं होगा। ऐसे में जमीन की खरीद फरोख्त का खेल जरूर फूलेगा।