April 27, 2024

ई-वे बिल को लेकर उद्योग में भ्रम

इलेक्ट्रॉनिक वे (ई-वे) बिल व्यवस्था को 1 फरवरी से पूरे देश में लागू किया जाना था लेकिन इसे अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया। इसे शुरू करने के लिए राज्यों ने अलग-अलग तारीखों का ऐलान किया है जिससे उद्योग जगत में अनिश्चितता की स्थिति है।  गुजरात ने नए प्रारूप के तहत 21 फरवरी से अंतरराज्यीय ई-वे बिल व्यवस्था शुरू करने की अधिसूचना जारी की है जबकि आंध्र प्रदेश का कहना है कि उसके यहां 8 फरवरी से ही यह व्यवस्था लागू हो जाएगी।

एफएमसीजी, दवा और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स क्षेत्र की कंपनियां इससे सबसे ज्यादा चिंतित हैं क्योंकि उनका सामान कई राज्यों से गुजरता है और हर राज्य में बिल व्यवस्था अलग-अलग है। जीएसटी राजस्व में कमी के कारण जीएसटी परिषद ने ई-वे बिल व्यवस्था को निर्धारित समय से पहले लागू करने का फैसला किया था। सामान की अंतरराज्यीय आवाजाही पर इसे 1 फरवरी से और राज्य के भीतर 1 जून से लागू किया जाना था। राज्यों ने 1 फरवरी को अपनी पुरानी बिल व्यवस्था को बंद कर दिया था। लेकिन जीएसटी नेटवर्क के जरिये केंद्रीय ई-वे बिल व्यवस्था को स्थगित किए जाने के बाद राज्य अब पुरानी व्यवस्था बहाल कर रहे हैं। इससे उद्योग जगत में चिंता का माहौल है।

ईवाई के विपिन सपरा ने कहा कि इस भ्रम को दूर करने की जरूरत है क्योंकि इससे सामान की आवाजाही प्रभावित हो रही है। ई-वे बिल व्यवस्था को राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केंद्र विकसित कर रहा है जबकि जीएसटी से जुड़ी दूसरी आईटी सामग्री को एक निजी संस्था जीएसटी नेटवर्क संभाल रहा है। ई-वे बिल व्यवस्था को लागू करने के लिए एनआईसी को 40 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान किया गया है।


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