April 20, 2024

EPF पर इस साल भी मिल सकता है 8.65% ब्याज

एंप्लॉयी प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (EPFO) मौजूदा फिस्कल ईयर के लिए 8.65% की ब्याज दर बरकरार रख सकता है। इससे EPFO के पांच करोड़ सब्सक्राइबर्स को फायदा होगा। EPFO ने इस फिस्कल ईयर में अपने इक्विटी पोर्टफोलियो में ठीकठाक प्रॉफिट बुकिंग की है। EPFO ने इंटरेस्ट रेट में गिरावट आने के चलते 8.5% का इंटरेस्ट देने पर विचार किया था।

प्रॉविडेंट फंड डिपॉजिट पर इंटरेस्ट का मुद्दा बुधवार को ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड के ट्रस्टियों की बोर्ड मीटिंग में उठ सकता है। आमतौर पर ईपीएफओ का सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज साल खत्म होने से पहले ब्याज दर तय करता है। सूत्रों के मुताबिक मौजूदा फाइनेंशियल ईयर खत्म होने में महीना भर रह गया है। इसलिए यह मुद्दा बैठक में उठ सकता है। हालांकि यह मीटिंग के डिस्कशन एजेंडा में शामिल नहीं है।

सूत्रों ने बताया कि एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (EPFO) ने इसी महीने 2886 करोड़ रुपये मूल्य के एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स बेचे हैं। इससे ईपीएफओ को मौजूदा फिस्कल के लिए 8.65% का इंटरेस्ट रेट बनाए रखने में मदद मिलेगी। ईपीएफओ ने 2016-17 के लिए 8.65% इंटरेस्ट रेट तय किया था, जो 2015- 16 में 8.8% था।

ईपीएफओ अगस्त 2015 से ईटीएफ में निवेश कर रहा है और उसने अब तक उसने इसमें प्रॉफिट बुकिंग नहीं की है। ईपीएफओ ने अब तक ईटीएफ में लगभग 44,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है जिस पर उसे लगभग 16 पर्सेंट रिटर्न मिला है।

बोर्ड में शामिल ट्रेड यूनियंस के प्रतिनिधि मीटिंग में सब्सक्राइबर्स की ग्रेच्युटी, प्रॉविडेंट फंड और पेंशन के कैलकुलेशन के लिए बेसिक सैलरी की एकसमान परिभाषा देने के लेबर मिनिस्ट्री के प्रपोजल का विरोध कर सकते हैं। प्रपोजल के मुताबिक, ईपीएफएंडएमपी एक्ट के तहत मूल वेतन और महंगाई भत्ते के साथ रिटेनिंग अलाउंस सैलरी का हिस्सा हो सकता है।

हालांकि ट्रेड यूनियंस का कहना है कि ग्रेच्युटी, पेंशन और प्रॉविडेंट फंड के लिए एकसमान परिभाषा देने की कोशिश तो हुई है, लेकिन वे इस प्रपोजल का विरोध इसलिए करेंगे कि एंप्लॉयर्स की तरफ से मूल वेतन को जानबूझकर कम रखे जाने के बुनियादी मुद्दे का निपटारा नहीं किया जा रहा है। बीएमएस के जनरल सेक्रेटरी वृजेश उपाध्याय का यह भी कहना है कि देश में रिटेनिंग अलाउंस जैसी कोई चीज चलन में नहीं है। ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की अध्यक्षता लेबर मिनिस्टर करते हैं और इसमें ट्रेड यूनियंस, सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट के एंप्लॉयर्स के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।


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