April 26, 2024

यूपी से रूठा मानसून: किसानों को महंगी पड़ रही है गन्ने और धान की सिंचाई

प्रदेश में इस बार मानसून के रूठे होने की वजह से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। मौसम व कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि इस बार पिछले साल से भी खराब स्थिति बन रही है। तालाब व पोखर भरे नहीं हैं लिहाजा पशुओं के लिए पानी और चारे की दिक्कत भी बढ़ती जा रही है।

खरीफ की फसलों की बात करें तो गन्ने व धान की फसल को सबसे ज्यादा पानी की जरूरत होती है। इस बार मानसून की अच्छी बारिश न होने की वजह से जहां एक ओर धान की रोपाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है वहीं गन्ना किसानों को भी अपनी फसल बचाने के लिए महंगी सिंचाई का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश में इस बार करीब 25 लाख हेक्टेयर में गन्ने की फसल बोई गई है। इसे अभी तक बचाए रखने के लिए किसानों को अपने इंजन से सिंचाई करने के लिए महंगा डीजल खरीदना पड़ रहा है। किराए पर लिए गए निजी नलकूप से सिंचाई भी गन्ना किसानों को बहुत महंगी पड़ रही है।
 प्रदेश में 21 जुलाई तक 59 लाख हेक्टेयर के कुल क्षेत्रफल में से महज 37 लाख 36 हजार  हेक्टेयर में ही धान की रोपाई हो पाई है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार खरीफ की अन्य फसलों की बोआई भी इस बार पिछले साल के मुकाबले पिछड़ गई है।

किसानों का कहना है कि धान की बम्पर रोपाई 15 जून से 15 जुलाई के बीच ही होती है। यह समय निकल गया है। धान की अगैती किस्मों की रोपाई कर चुके तमाम किसानों ने अब अपने खेत भगवान भरोसे छोड़ दिए हैं। कुछ किसान अब भी पिछैती किस्मों के धान की रोपाई आगे अच्छी बारिश की उम्मीद में कर तो रहे हैं मगर आधे अधूरे मन से…। चूंकि नहरों व सरकारी नलकूपों का लाभ बहुत सीमित किसानों को ही मिल पाता है इसलिए ज्यादातर किसान इंजन के लिए महंगा डीजल खरीद कर या फिर किराए पर इंजन लेकर सिंचाई कर अपनी फसलों को बचाने में जुटे हुए हैं।

निजी नलकूप से सिंचाई का महंगा गणित
एक मोटे अनुमान के अनुसार निजी नलकूप से सिंचाई करने में पांच हार्स पावर के इंजन से एक घंटे में डेढ़ लीटर डीजल की खपत होती है। आठ हार्स पावर का इंजन करीब सवा दो लीटर डीजल लेता है। इस तरह से एक घंटे की निजी नलकूप से सिंचाई पर करीब 110 रुपये खर्च आता है। मोबिल आयल व अन्य खर्च मिलाकर एक घंटे की सिंचाई करीब 120 रुपये पड़ रही है। 
  कच्चे एक बीघे में तीन घंटे में पानी भरता है और अगर किसान ने दस पानी लिया तो करीब 3800 रुपये खर्च आता है। एक एकड़ में निजी नलकूप से 10 पानी की सिंचाई पर करीब 15 हजार रुपये खर्च आता है। किराये पर लिए नलकूप से एक घंटे सिंचाई करीब दो सौ रुपये पड़ती है। 

भाकियू के जिला अध्यक्ष हरनाम सिंह वर्मा कहते हैं- मानसून की कम बारिश से दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं। खरीफ की फसलों से किसान को तो जो नुकसान होगा वह तो होगा ही, खाद्यान्न और गन्ने की पैदावार भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। मुख्यमंत्री तत्काल इन स्थितियों का संज्ञान लेकर समीक्षा करें और सूखे से बचाव के निर्देश जारी करें।

क्या है स्थिति 
-इस बार यूपी में  जून से 22 जुलाई के बीच 294.3 मि.मी. की सामान्य वर्षा के मुकाबले महज 151.7 मि.मी. बारिश हुई जो कि 51.5 प्रतिशत है। 

-29 जिलों में 40% से कम, 24 जिलों में 40 से 60%, 11 जिलों में 60 से 80%, 8 जिलों में 80 से 120% और सिर्फ 3 जिलों में 120% से अधिक बारिश हुई। 

-पिछले साल यानि 2017 में इसी अवधि में सिर्फ 2 जिलों में 40% से भी कम बारिश हुई थी, 11 जिलों में 40 से 60%, 13 जिलों में 60 से 80%, 38 जिलों में 80 से 120% व 13 जिलों में 120% से अधिक बारिश हुई थी। 

-सबसे बुरी हालत बुन्देलखण्ड की है जहां तक अब तक 48.4% बारिश हुई जबकि पूर्वी यूपी में अब तक 49.4% बारिश रिकार्ड की गयी। 
                                


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com