April 26, 2024

कम समय के लिए करना चाहते हैं निवेश, ये हैं पांच आकर्षक विकल्प

जब आप निवेश करने को तैयार हों और यह निवेश आप एक साल से ज्यादा समय के लिए करना चाहते हों तब आपके पास काफी विकल्प हैं जिसने आप आकर्षक रिटर्न पा सकते हैं. लेकिन जब आपके पास समय की दिक्कत है यानि आप एक साल से कम समय के लिए आप अपना पैसा निवेश करना चाहते हैं तब आपके पास विकल्प कम हो जाते हैं. क्योंकि बहुत ही कम ऐसे विकल्प हैं जिनमें अच्छा रिटर्न मिलता है. ऐसे में कई बार होता है कि लोग ऐसे ऑपशन की ओर निवेश को तैयार हो जाते हैं जहां कि रेटिंग काफी कम होती है यानि की रिस्क का फैक्टर ज्यादा होता है.

ऐसे में सावधानी बरतनी चाहिए और सोचा-समझा कदम उठाना चाहिए. ऐसा करते समय निवेश विकल्पों की बारीकियों को समझना जरूरी है और इसकी डिटेल जानकारी भी होनी चाहिए. कम समय के लिए निवेश के ऑपशन में एफडी (सावधि जमा), कॉरपोरेट फिक्स्ड डिपॉसिट, पोस्ट ऑफिस टर्म डिपोजिट, रिकर्रिंग डिपोजिट (आरडी) और स्वीप-इन फिक्स्स डिपोजिट, कुछ ऐसे विकल्प हैं जो ज्यादा लोकप्रिय नहीं है.

यह साफ है कि किसी भी निवेशक के लिए यह आवश्यक है कि वह निवेश से पहले रिटर्न का ऑपर देखे, रिस्क फैक्टर को समझे, जहां वह पैसा लगाने का मन बना रहा है उसके बारे में क्रेडिट रेटिंग को देखे, पैसे वापसी में उसका रिकॉर्ड देखे, आदि बातों का ध्यान जरूर रखे.

कम अवधि के निवेश के 5 अच्छे विकल्प

1. बैंकों में सावधि जमा (एफडी): कई बैंकों में उपलब्ध सावधि जमा लोगों को अच्छा रिटर्न दे रहे हैं. ऐसे में इस बात को बताना जरूरी है कि एक निवेशक को यह देखना चाहिए कि उसका निवेश बढ़ रहा है या नहीं. यह देखने का एक साधारण से फॉर्मूला यह है कि आप महंगाई दर से ज्यादा ब्याज पा रहे या नहीं. इससे साफ हो जाता है कि आपका निवेश आपको उतने समय में बढ़कर मिल रहा है या नहीं. इस बारे में एक अंदाजा लगाना बेहद आवश्यक हो जाता है. यह तो सबको पता है कि बैंकों के इस विकल्प में निवेश में सबसे जरूरी बात यह है कि निवेशक का पैसा सबसे ज्यादा सुरक्षित रहता है और वापसी समय पर ही हो जाती है.

सावधि जमा में पैसा लगाने का मतलब एक प्रकार से बॉन्ड में पैसे लगाना है. बॉन्ड में साल में तय ब्याज दर देते हैं और समय पूरा होने पर पूरा मूलधन वापस मिल जाता है. दोनों ही तरह के निवेश एक प्रकार से अपना पैसा देकर उस पर ब्याज लेना है. अमूमन बैंक इस पैसे से आपको दिए जाने से ज्यादा ब्याज कमाता है.

2. कॉरपोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट : कंपनियां अपनी जरूरतों के लिए पूंजी जुटाने का काम करती हैं. कंपनियां एक निश्‍चित अवधि के लिए निवेशक से यह पूंजी लेती हैं जिसे कॉरपोरेट एफडी कहते हैं. इसके लिए वे निवेशकों से विज्ञापन के जरिए निवेश करने के लिए कहती हैं. आम तौर पर निवेशकों को आकर्षित करने के लिए इस एफडी पर कंपनियां बैंक और अन्‍य फाइनेंस कंपनियों से ज्‍यादा ब्‍याज देती हैं, क्‍योंकि इन कंपनियों के पास कंपनी कानून के तहत डिपॉजिट लेने का अधिकार होता है. चूंकि कंपनियों के कॉरपोरेट एफडी पर ब्‍याज दर अधिक होती है, इसलिए इसमें निवेश करना बेहतर होता है.

ऐसे में कंपनी की प्रतिष्ठा का ध्यान रखना चाहिए. कंपनी की बाजार में क्या साख है. कंपनी किस प्रकार से पैसा वापस करती रही है. कंपनी निवेशकों का पैसा अपनी किसी योजना में लगाती है और यह रिटर्न कई बार इसी पर निर्भर करता है. कुछ मामलों में कंपनी के एसेट को कोलेटरल बॉन्ड के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.

बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में यहां पर रिस्क थोड़ा ज्यादा होता है. यहां पर कंपनी के डिफॉल्टर होने का रिस्क रहता है और वह पैसा वापस न कर पाए.

ऐसे में सुरक्षित कॉरपोरेट एफडी (सिक्यूर्ड कॉरपोरेट एफडी) अनसिक्यूर्ड एफडी से बेहतर विकल्प होता है और यहां पर भी अच्छा रिटर्न मिलता है. ऐसा देखा गया है, क्योंकि कॉरपोरेड फिक्स डिपॉजिट में रिस्क और रिवार्ड दोनों होता है तो इसमें रिटर्न भी बैंकों की एफडी की तुलना में दो से ढाई गुणा प्रतिशत तक ज्यादा होता है.

3. पोस्ट ऑफिस टर्म डिपॉजिट (Post Office Term Deposits): कोई भी नागरिक पोस्ट ऑफिस में जाकर यह खाता खोल सकता है. यहां पर ब्याज सालाना दिया जाता है और इसकी गणना तिमाही में होती है. यह खाता 200 रुपये से भी खोला जा सकता है और ऊपर की को सीमा नहीं है.

4. रिकर्रिंग डिपॉजिट (आरडी): आरडी एक प्रकार से टर्म डिपॉजिट है जो बैंक कुछ नियमों के साथ चलाते हैं. यह लोगों के लिए काफी मददगार होता है. इसमें भी खासतौर पर नौकरी पेशा वालों के लिए ज्यादा कारगर होता है. यहां पर नौकरीपेशा हर महीने अपनी बचत से ब्याज कमा सकते हैं. यहां पर भी अधिकतर एफडी के समान ब्याज दर मिलती है. निश्चित समय तक पैसे जमा कराने होते हैं और आखिरी किश्त के बाद ब्याज सहित पूरा पैसा वापस मिल जाता है. ऐसा देखा गया है कि आरडी की कम से कम छह महीने की अवधि होती है और ज्यादा से ज्यादा यह 10 साल के लिए होती है.

5. स्वीप-इन फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) : कई बार ऐसा होता है कि बैंक आपके खाते में काफी लंबे समय तक जमा रकम को एफडी में बदलने के लिए कहता है. अमूमन बचत खाते में जरूरी रकम से ज्यादा होने पर बैंक खाता धारक  की इजाजत से इस एफडी में बदल देते हैं. यहां पर बचत खाते से ज्यादा ब्याज मिलता है और बैंक यह भी सुविधा देते हैं कि जब आपको पैसे की जरूरत होती है वह पैसा आपके खाते में ब्याज सहित वापस आ जाता है.  कई बार तो बैंक यहां पर भी फिक्स्ड डिपॉजिट के जितना ब्याज देते हैं.


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com