April 24, 2024

जबरन नारे लगवाये गए तो शहर-शहर कासगंज होगा : तौकीर रज़ा

इत्तेहादे मिल्ल्त कौंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रज़ा ने कासगंज हिंसा पर विवादित बयान देकर आग में घी डालने का काम किया है। तौकीर रज़ा ने कहा की अगर हमसे जबरदस्ती ऐसे नारे लगवाए जायेंगे जो हमारे मजहब के खिलाफ हैं तो कासगंज जैसी हिंसा शहर-शहर होगी। साथ ही उन्होंने एक फरवरी को कासगंज जाने का भी ऐलान किया है। मौलाना ने डीएम की फेसबुक पोस्ट का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने जेहाद का काम किया है।

मौलाना तौकीर रज़ा का नाम ज़ुबान पर आते ही बरेली के 2010 में हुए दंगे ज़हन में आ जाते हैं। तौकीर रज़ा 2010 में हुए दंगे के मुख्य आरोपित थे और उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। अब वही मौलाना कासगंज में हुए दंगे में आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। तौकीर रज़ा ने कहा की तिरंगा यात्रा में तिरंगे के सिवा सब कुछ था, उन लोगों की नियत फसाद की थी, जुल्म ढाने की थी। वह लोग जबरदस्ती भगवा लहराने और दूसरे नारे लगाने का दबाब बना रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर हमसे जबरदस्ती ऐसे नारे लगाने को कहा जायेगा जिसकी हमारा मजहब इज़ाज़त नहीं देता तो इस तरह के तनाव शहर शहर फैलेंगे।

तौकीर रज़ा ने कासगंज की हिंसा के लिए बीजेपी को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि अब चुनाव आने वाले हैं और बीजेपी का ग्राफ लगातार गिर रहा है। इसलिए बीजेपी ऐसा करवा रही है। उन्होंने कहा की कासगंज में एकतरफा कार्रवाई की जा रही है। जो अपने हक़ की बात करा रहा है उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि जो दंगाई हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन कोई निर्दोष नहीं फंसना चाहिए ।

तौकीर रज़ा ने एक फरवरी कासगंज जाने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि हम अमन चैन के लिए कासगंज जाना चाहते हैं और जो लोग दंगे से प्रभावित हुए हैं उनकी मदद करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह चन्दन गुप्ता के घर भी जायेंगे और सरकार से उन्हें 50 लाख मुआवजा दिलाने की मांग करेंगे।

मौलाना तौकीर रज़ा ने बरेली के डीएम राघवेंद्र विक्रम सिंह का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा था की सब कुछ खत्म हो गया है लेकिन सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। ऐसे सेकुलरिज़्म पर यकीं रखने वाले और ऐसे हक़ बयां करने वाले लोग जब तक हैं और ऐसे लोगों की हिन्दुस्तान में और उत्तर प्रदेश में कमी नहीं है। मुझे उनसे उम्मीद जगती है कि कोशिश की जाये तो सब कुछ सही किया जा सकता है। ऐसे बहुत से अफसर होंगे जो अपनी बात रखना चाहते हैं लेकिन कुछ लोग अपनी बात दिल में रख लेते हैं और कुछ लोग बयान कर देते हैं। बरेली के डीएम ने बहुत हिम्मत का काम किया है. उन्होंने जेहाद का काम किया है।


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