April 19, 2024

सौ साल पुराने दस्तावेजों को डिजिटाइज करने में जुटा वन विभाग, एक क्लिक में मिलेगी जानकारी

वन अनुसंधान केंद्र 100 साल पुराने आंकड़ों को डिजिटल करने जा रहा है। ये आंकड़ों तब से अब तक समूचे प्रदेश के तराई और पर्वतीय इलाकों में पेड़ों की बढ़त, मापन के हैं।

 1928 में वन विभाग की सांख्यिकीय शाखा की स्थापना की गई थी। इसकी दो उप शाखा साल और पर्वतीय क्षेत्र से हर चार-पांच साल के अंतराल पर विभिन्न वनस्पतियों की वार्षिक औसत वृद्धि और समेकित वार्षिक वृद्धि की रिपोर्ट तैयार करती है। इन रिपोर्ट के आधार पर जलवायु परिवर्तन का वनस्पतियों पर होने वाले प्रभावों की सटीक जानकारी मिलती है।

अंग्रेजों के जमाने यह रिकार्ड अब नष्ट होने की कगार पर भी है। दस्तावेजों में कई छपाई धुंधल हो रही है। इससे 100 साल पुरानी धरोहर नष्ट होने का खतरा बन गया। वन अनुसंधान केंद्र ने इस जानकारी को डिजिटल करने के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है। इस सॉफ्टवेयर में 1928 से 2018 तक के आंकड़ों को फीड किया जा रहा है। जून-जुलाई तक काम पूरा हो जाएगा।

ये होंगे फायदे 
1.जलवायु परिवर्तन का वनस्पति की उत्पादकता, लक्षण, वृद्धि पर होने वाले प्रभावों की मिलेगी जानकारी
2. शोध करने वाले छात्रों को होगी मदद
3. जलवायु परिवर्तन के असर का आकलन किया जा सकेगा
4. 100 साल पुरानी धरोहर बचेगी

मूल दस्तावेजों को किया जा रहा है स्कैन
वन अनुसंधान केंद्र पुराने आंकड़ों को फीड करने के अलावा स्कैन भी कर रहा है। इन स्कैन फाइल को सॉफ्टवेयर में अपलोड किया जाएगा ताकि कोई संशय होने पर असली दस्तावेज से जांच की जा सके।

सांख्यिकीय शाखा के दस्तावेजों को डिजिटल किया जा रहा है। सॉफ्टवेयर में आंकड़ों को फीड किया जा रहा है। अगले तीन माह में कुमाऊं और गढ़वाल के आंकडे़ फीड हो जाएंगे।
– संजीव चतुर्वेदी, वन संरक्षक, वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com