April 23, 2024

हाईकोर्ट का आदेश: उत्तराखंड में 434 दवाओं की बिक्री पर पूर्ण रोक

नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में 434 दवाओं की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगाने का आदेश दिया है। हालांकि, इनमें से अधिकतर दवाओं पर केन्द्रीय औषधि नियंत्रण बोर्ड ने पहले ही प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन दवा कंपनियों के अलग-अलग प्रदेशों में अदालतों में जाने से अब भी इनकी बिक्री जारी है।

सोमवार को नैनीताल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की संयुक्त खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रदेश में इनकी बिक्री पर रोक का आदेश दे दिया। प्रदेश सरकार को निर्देश दिया गया है कि पुलिस की मदद से राज्यभर के मेडिकल स्टोरों में मौजूद इन दवाओं के स्टॉक को या तो नष्ट करे या संबंधित दवा कंपनी को वापस करने की व्यवस्था करे।

रामनगर की श्वेता ने दायर की थी याचिका
उत्तराखंड में रामनगर निवासी श्वेता मासीवाल ने जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि प्रदेश में नशे का कारोबार लगातार बढ़ रहा है। वयस्कों के अलावा बच्चे भी नशे की जद में आ गये हैं। अधिकतर मामलों में बच्चे ऐसी दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, जिनसे नशा होता है। ऐसे में इनकी बिक्री पर रोक लगाने की मांग की गयी थी।

अदालत के निर्देश

  • स्कूलों में क्लब बनायें: अदालत ने नशे पर रोकथाम के लिये प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थानों, संस्थानों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों में ड्रग्स कंट्रोल क्लब खोलने के आदेश दिए है। इन क्लबों के अध्यक्ष निदेशक उच्च शिक्षा होंगे और नोडल अधिकारी निदेशक विद्यालयी शिक्षा होंगे। 
  • नशे की हर चीज पर रोक: अदालत ने किशोर न्याय अधिनियम की धारा 77 जे का विस्तार कर दिया है। इसके तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों को नशे के उपयोग में आ सकने वाले प्रतिबंधित दवाएं, मादक पदार्थ और ऐसे अन्य सामग्री की बिक्री पर भी रोक लगा दी है।
  • कैदियों की जांच करें: सुनवाई के दौरान अदालत के संज्ञान में जेलों में भी नशे के मामले लाये गये। इस पर अदालत ने उत्तराखंड की जेलों में रखे जाने वाले कैदियों की भी नारकोटिक्स जांच का आदेश दिया है।
  • स्पेशल टीम बनायें: अदालत ने प्रदेश सरकार को दूसरे राज्यों से लगने वाली सीमाओं पर ड्रग्स की जांच के लिये स्पेशल टीम बनाने को कहा है। इसके लिये तीन सप्ताह का समय दिया गया है।
  • स्क्वायड बनायें, केन्द्र खोलें: अदालत ने सरकार को चार सप्ताह में ड्रग्स नारकोटिक्स स्क्वायड गठन करने के निर्देश दिये हैं। इसके अलावा प्रदेश के प्रत्येक जिले में नशा मुक्ति केंद्र खोलने के आदेश दिए हैं।

इन दवाओं पर रोक
पैरासिटामोल, सिट्राजिन, टेराफिनाडीन, डिकोल्ड टोटल, सेराडॉन, फिंसाडीन, डोवर्स पाउडर, टैबलेट कांबिफ्लेम, डाईक्लोफेंस पैरासिटामोल आदि।

निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश ने गंभीरता से लिया था मामला
नैनीताल हाईकोर्ट के निवर्तमान चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति केएम जोसफ ने भी पिछली सुनवाई में मामले को गंभीरता से लिया था। उन्होंने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि युवा वर्ग नशे की गर्त में डूब रहा है। वहीं प्रशासन और पुलिस नशा रोकने में नाकाम हो रही है। प्रदेश के एसएसपी एसटीएफ नारकोटिक्स एंड ड्रग्स कंट्रोल और क्षेत्रीय निदेशक की अदालत में व्यक्तिगत पेशी हुयी थी। दोनों अधिकारियों ने स्टाफ की कमी की जानकारी दी थी। बताया था कि इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और सीमा पर तैनात एसएसबी की मदद से इस पर अंकुश लगाया जा रहा है। अफसरों का कहना था कि प्रदेश में नशे के नेटवर्क का संचालन सीमा से लगे राज्यों से हो रहा है। पिछली सुनवाई में अदालत ने प्रदेश के 27 विवि के साथ ही डीएम और एसएसपी को भी पक्षकार बनाने के निर्देश दिये थे।


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