April 23, 2024

असम में अवैध रूप से रह रहे लोगों को पश्चिम बंगाल में बसाने की तैयारी शुरू,एनआरसी पर खुफिया रिपोर्ट

असम में अवैध रूप से रह रहे लोगों को पश्चिम बंगाल में बसाने की तैयारी शुरू हो गई है। खासतौर से, राज्य की सीमा के साथ लगते जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों को विशेष इंतजाम करने की हिदायत दी गई है। पश्चिम बंगाल, मिजोरम व त्रिपुरा की सरकारों के अलावा खुफिया एजेंसियों से भी यही इनपुट मिल रहा है। असम में रह रहे ऐसे लोग, जिनके पास किसी भी तरह का कोई दस्तावेज नहीं है, वे इन्हीं तीन राज्यों का रुख कर सकते हैं। गोपनीय जानकारी के मुताबिक, पिछले तीन दिन में साढ़े तीन हजार लोग असम से निकल चुके हैं।
बता दें कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) की सूची में चालीस लाख लोगों का नाम नहीं हैं। इनमें बहुत से लोगों के पास राज्य सरकार द्वारा जारी कुछ दस्तावेज तो हैं, लेकिन वे एनआरसी के रिकॉर्ड में नहीं हैं। ऐसे लोग सरकार द्वारा तय प्राधिकरण के पास अपील कर रहे हैं। इन्हीं में बहुत बड़ी तादाद ऐसे लोगों की भी है, जिनके पास अभी तक कोई सरकारी दस्तावेज ही नहीं है। ये लोग असम से निकलना शुरू हो गए हैं।
गृह मंत्रालय में उत्तरपूर्व के राज्यों के जानकार एक बड़े अधिकारी का कहना है कि पश्चिम बंगाल, मिजोरम व त्रिपुरा इनकी पहली पसंद है। वजह, इन राज्यों की सीमा के साथ लगते क्षेत्रों में बांग्लादेश के लोगों की बड़ी तादाद है। असम से आने वाले लोग खुद को यहां सुरक्षित महसूस करेंगे और साथ ही उन्हें कोई काम धंधा शुरू करने में थोड़ी बहुत मदद मिल जाएगी।

हालांकि अधिकारी का कहना है कि ऐसे लोगों को देर-सवेर फिर से एनआरसी सूची का सामना करना पड़ेगा। चूंकि अभी इन लोगों को सुरक्षित शेल्टर पश्चिम बंगाल ही नजर आ रहा है, इसलिए वे यहीं का रूख कर रहे हैं। वहां का प्रशासन इनके लिए नरम और सहयोगी भी है। त्रिपुरा जाने के लिए इन्हें लंबा रास्ता तय करना होगा। मिजोरम पहुंचना इनके लिए मुश्किल नहीं है। वहां भी कुछ लोग पहुंचे हैं।

अलीपुर द्वार में तैयार हो रहा है शेल्टर

भारतीय जनता पार्टी की युवा इकाई के राष्ट्रीय सचिव सौरभ सिकंदर और पश्चिम बंगाल यूथ विंग के अध्यक्ष देबजीत सरकार का कहना है, तृणमूल कांग्रेस सरकार असम से आने वाले लोगों को अपने यहां बसाने की पूरी तैयारी कर रही है। अलीपुर द्वार एक ऐसा ही इलाका है। बाढ़ पीड़ितों के लिए यहां शेल्टर लगता था। पिछले चार साल से बाढ़ नहीं आई है, इसके बावजूद इसे दोबारा से तैयार कराया जा रहा है। इसी तरह से कई और भी इलाके हैं, जहां असम से आने वालों को ठहराया जाएगा। देबजीत के मुताबिक, बारासात, दक्षिण 24 परगना, बाहरूइपुर, वीरभूमि और पुरलिया में भी शिविर बन रहे हैं। जहां-जहां पर नए कैंप बन रहे हैं, वहां पंचायती राज संस्थाओं पर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है। यही वजह है कि सरकार को बाहर से आने वाले लोगों को यहां बसाने में किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।
 
10-12 साल पहले आकर बसे हैं ये लोग
 
असम में तैनात एक सिविल अधिकारी का कहना है कि यहां से अभी जो लोग निकल रहे हैं, उनके पास किसी भी तरह का कोई दस्तावेज नहीं है। इनमें अधिकांश वे लोग हैं, जो पिछले दस-बारह साल पहले ही घुसपैठ के जरिए भारत आए थे। इन्होंने बांग्लादेश से बिना किसी दिक्कत के पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर लिया था। इसके बाद वे कामकाज की वजह से असम में जाकर बस गए। अब ये लोग जानते हैं कि दस्तावेजों के अभाव में ये किसी भी कोर्ट या दूसरी संस्था के सामने अपना पक्ष नहीं रख सकेंगे।
 
इस मुद्दे पर बोलने को तैयार नहीं हैं तृणमूल कांग्रेस के सांसद
 
पश्चिम बंगाल में टीएमसी के लोकसभा एवं राज्यसभा सांसद इस मुद्दे पर बोलने को तैयार नहीं है। पार्टी का पक्ष जानने के लिए लोकसभा सांसद सुब्रता बक्शी, दीबेयंदु और शेखर राय से बातचीत की गई, लेकिन उन्होंने पार्टी प्रवक्ता से बात करने का आग्रह किया। इस बाबत पार्टी प्रवक्ता को एसएमएस किया गया तो उन्होंने अपने जवाब में लिखा, प्लीज बंगाल सरकार से चेक कर लें।


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