April 26, 2024

जम्मू-कश्मीर : राज्यपाल शासन को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दी मंजूरी

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर में तत्काल प्रभाव से राज्यपाल शासन लागू करने को मंजूरी दी है। इससे पहले राज्य के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ चर्चा करने के बाद राज्यपाल एनएन वोहरा ने जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 92 के तहत राज्यपाल शासन लागू करने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपनी रिपोर्ट भेजी थी।

बताते चलें कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से अपना समर्थन वापस ले लिया जिसके चलते जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन की सरकार अल्पमत में आ गई। जिसके बाद मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया।

इससे पहले, राज्यपाल एनएन वोहरा को मंगलवार दोपहर फैक्स के जरिए एक चिट्ठी मिली जिसपर गठबंधन सरकार को बीजेपी का समर्थन वापस लेने के लिए राज्य भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैना और भाजपा विधायी दल के नेता कविंदर गुप्ता के हस्ताक्षर थे। इसके बाद मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दे दिया।

 कौन होगा जम्मू-कश्मीर का अगला राज्यपाल

जम्मू और कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी का गठबंधन टूटने के बाद अब राज्यपाल शासन की ओर बढ़ रहा है। राज्य के मौजूदा राज्यपाल एनएन वोहरा का कार्यकाल खत्म होने को है ऐसे में कुछ नए चेहरे हैं जो इस पद के लिए दौड़ में हैं।

 जम्‍मू-कश्‍मीर में राष्‍ट्रपति नहीं राज्‍यपाल शासन लगता है, जानिए क्‍यों
जम्‍मू कश्‍मीर में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मुख्‍यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कोई भी दल सरकार बनाने के लिए गठबंधन करने को तैयार नहीं है। ऐसे में सूबे में राज्‍यपाल शासन लगना तय हो गया है। जम्‍मू-कश्‍मीर में भारत के अन्‍य राज्‍यों की तरह राष्‍ट्रपति शासन नहीं लगता है। भारत के अन्य राज्यों में प्रदेश सरकार के विफल रहने पर राष्ट्रपति शासन लागू होता है लेकिन जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल का शासन लगाया जाता है।

 राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्‍मू-कश्‍मीर में राज्‍यपाल शासन को दी मंजूरी

जम्‍मू-कश्‍मीर में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद राष्‍ट्रपति ने राज्‍यपाल शासन को मंजूरी दे दी है. बीजेपी से गठबंधन टूटने के बाद मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मुख्‍यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद कोई भी दल सरकार बनाने के लिए गठबंधन करने को तैयार नहीं था. ऐसे में सूबे में राज्‍यपाल शासन लगना तय हो गया था।

राज्यपाल ने कविंदर गुप्ता और महबूबा मुफ्ती से चर्चा कर यह सुनिश्चित किया क्या उनके संबंधित राजनीतिक दल राज्य में सरकार गठन के लिए वैकल्पिक गठबंधन बनाने का इरादा रखते हैं और दोनों नेताओं ने ना में जवाब दिया। राज्यपाल ने जम्मू-कश्मीर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष जीए मीर से भी बात की। मीर ने बताया कि उनकी पार्टी के पास अपने बूते पर या गठबंधन सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं है। इसके बाद राज्यपाल ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला के साथ बैठक की। उमर ने कहा कि राज्यपाल शासन और राज्य में चुनावों के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति की बजाए क्यों लगता है राज्यपाल शासन
दरअसल, जम्मू-कश्मीर के संविधान के सेक्शन 92 के मुताबिक, राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के बाद भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी से 6 महीने के लिए राज्यपाल शासन लगाया जा सकता है। राज्यपाल शासन के दौरान या तो विधानसभा को निलंबित कर दिया जाता है या उसे भंग कर दिया जाता है।


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