विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि बीते महीने वुहान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बातचीत से एक विकसित तालमेल दिखाई देता है, कि अब दो नेता किसी भी महत्वपू्र्ण मुद्दे पर सीधे बातचीत कर सकते हैं।
चीनी राष्ट्रपति का कहना, फोन पर सीधे करें बात
विदेश मंत्री स्वराज ने चीन पर कहा कि जहां तक चीन के साथ अनौपचारिक बातचीत का सवाल है तो ये बातचीत का एक नया तरीका है। इसे पहली बार अपनाया गया है। उन्होंने कहा, “बकायदा पहली बार निमंत्रण देकर इस तरह की पहल शुरू हुई है। चीन, रूस और जर्मनी के साथ ऐसा ही हुआ है। इन तीनों मुलाकातों के नियम सेट करने थे। चीन की विदेश मंत्री वांग यी के साथ मेरी मुलाकात हुई, उसमें मैंने कहा कि हमारे नेताओं को किसी एजेंडे में ना बांधे।”
स्वराज ने कहा कि ये बातचीत मुद्दों को सुलझाने के लिए नहीं हुई थी बल्कि ये तीन उद्देश्यों ‘रिश्तों की सहजता को बढ़ाना, वैश्विक मुद्दों पर आपसी समझ और पारस्परिक विश्वास को बढ़ाने’ को लेकर हुई थी। उन्होंने कहा ‘मुझे लगता है कि बातचीत खत्म होने के बाद ये तीनों उद्देश्य पूरे हुए हैं। आज सहजता ये है कि चीनी राष्ट्रपति कहते हैं कि अगर आपको कुछ भी असहज लगता है तो आप फोन उठाएं और सीधे बातचीत करें।’
दोकलम पर यथास्थिति
दोकलम पर स्वराज ने कहा कि वहां यथास्थिति बनी हुई है, कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसका मतलब ये है कि दोनों देशों की सेनाएं खुद ही लाइन क्रॉस कर जाती हैं तो इस बात को सेनाएं समझें। विवाद की स्थिति ना बने। उन्होंने कहा कि दोकलम विवाद को जंग के बिना ही सुलझाया गया है। पूरे अंतरराष्ट्रीय जगत में इसकी सराहना की गई कि इस मुद्दे को कूटनीति और संवाद के जरिए सुलझा लिया गया और युद्ध की नौबत नहीं आई।
पाक से आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं
विदेश मंत्री ने पाक पर कहा कि जब सरहद पर जनाजे उठ रहे हों, तो बातचीत की आवाज अच्छी नहीं लगती। उन्होंने कहा कि ‘पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने चार फॉर्मूले रखे थे, तब भी मैंने कहा था कि आतंकवाद छोड़ना ही एक फॉर्मूला है।’ उन्होंने कहा कि पठानकोट हमला, सीमा पर फायरिंग और घुसपैठ के बीच बातचीत संभव नहीं हो सकती।
हालांकि जो मैकेनिज्म बना है, उसके जरिए बातचीत होती है। ‘हम ये कहते हैं कि आतंकवाद पर बातचीत जारी रहनी चाहिए। उन्होंने कहा पाकिस्तान अलग थलग पड़ा है इसलिए वह बातचीत करना चाहता है। ये भारत की सबसे बड़ी कामयाबी है।