धूमल के चुनाव हारने के बाद चर्चा में फिर आए नड्डा
हिमाचल विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले भी जे.पी. नड्डा मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदारों में गिने जा रहे थे। बताते हैं नड्डा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भी विश्वास हासिल है। यही वजह थी कि भाजपा आरंभ में राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा नहीं करना चाहती थी। बीजेपी मुख्यालय में शीर्ष नेतृत्व ने भी हिमाचल का चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर लड़ने का फैसला किया था। लेकिन ठाकुर बाहुल राज्य में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पक्ष में जनता के वोटों का ध्रुवीकरण होने की आशंका देखकर प्रधानमंत्री ने धूमल के नाम पर मुहर लगा दी थी।
68 विधानसभा सीटों वाले हिमाचल विधानसभा का चुनाव इस बार काफी दिलचस्प रहा। भाजपा ने जहां राज्य में सत्ता में वापसी के लिए पूरी ताकत झोंक दी, वहीं कांग्रेस ने बदलाव के ट्रेंड वाले राज्य एक तरह से पहले से ही हार मान ली थी। कांग्रेस के तत्कालीन उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बहुत सीमित प्रचार किया। इतना ही नहीं काग्रेस ने 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की, लेकिन प्रचार अभियान अकेले मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के ही भरोसे चला । हालांकि चुनाव नतीजों ने कांग्रेस को उतना मायूस नहीं किया है। कांग्रेस पार्टी को 68 में से 21 सीटें मिली जबकि भाजपा के खाते में 44 विधानसभा सीट आई है।