March 29, 2024

भारत की 1% अमीर आबादी के पास है 2017 में बढ़ी संपत्ति का 73% हिस्साः सर्वे

पिछले साल भारत में जितनी संपत्ति का निर्माण हुआ, उसका 73 प्रतिशत हिस्सा देश के 1 प्रतिशत धनाढ्य लोगों ने हथिया लिया। सोमवार को जारी एक सर्वे रिजल्ट में देश में बढ़ती आय असामनता की यह भयावह तस्वीर सामने आई है।

सर्वे के मुताबिक, 67 करोड़ भारतीयों की संपत्ति में महज 1 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के सालाना सम्मेलन की शुरुआत से कुछ घंटों पहले इंटरनैशनल राइट्स ग्रुप ऑक्सफैम की ओर से जारी सर्वे रिजल्ट में पता चला है कि यह आंकड़ा सबसे गरीब भारतीयों का है जो देश की कुल आबादी का आधा है।

वैश्विक स्तर पर तो स्थित और भी भयावह जान पड़ती है। सर्वे के मुताबिक, पिछले साल दुनिया की संपत्ति में जो इजाफा हुआ, उसका 82 प्रतिशत हिस्सा महज एक प्रतिशत अमीर आबादी के हाथ लग गया जबकि दुनिया के 3.7 अरब लोगों की संपत्ति में कोई वृद्धि दर्ज नहीं हुई। गरीबों की यह तादाद विश्व की कुल आबादी के आधे हिस्से के बराबर है।

ऑक्सफैम के सालाना सर्वे के नतीजों पर दुनियाभर की नजर रहती है और इस पर वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के सालाना सम्मेलन में भी चर्चा होती है। दरअसल, इस सम्मेलन के महत्वपूर्ण विषयों में आय असमानता की बढ़ती खाई और लैंगिक असमानता जैसे मुद्दे प्रमुख होते हैं।

पिछले साल के सर्वे में पता चला कि भारत की सबसे धनी 1 प्रतिशत आबादी के पास देश की कुल 58 प्रतिशत संपत्ति है। यह वैश्विक स्तर पर 50 प्रतिशत के आंकड़े से ज्यादा है। इस साल के सर्वे से भी पता चलता है कि 2017 में देश की सबसे धनी 1 प्रतिशत आबादी की संपत्ति 20.9 प्रतिशत बढ़ी। यह राशि वित्त वर्ष 2017-18 के लिए भारत सरकार की बजट राशि के बराबर है।

‘रिवॉर्ड वर्क, नॉट वेल्थ’ के नाम से जारी रिपोर्ट में ऑक्सफैम ने यह उजागर किया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था ने कैसे धनाढ्यों के समूह को अकूत संपत्ति प्रदान की जबकि लाखों-करोड़ों लोग गरीबी रेखा से नीचे होने के कारण सरकारी योजनाओं के सहारे जीने का संघर्ष कर रहे हैं।

एक अध्ययन में कहा गया है कि न्यूनतम मजदूरी पानेवाले ग्रामीण भारत का किसी मजूदर को देश के किसी गारमेंट कंपनी के एक टॉप एग्जिक्युटिव की एक साल की आमदनी के बराबर कमाई करने में 941 साल लग जाएंगे। इसी तरह, अमेरिका में एक सामान्य कामगार सालभर में जितना कमाता है, उतना एक सीईओ एक दिन में ही कमा लेता है। सर्वे में 10 देशों के 70,000 लोगों से पूछताछ की गई।


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