पाकिस्तान में चुनाव के कारण सीमा पर 400 प्रतिशत बढ़ा संघर्ष विराम उल्लंघन
पाकिस्तान ने जम्मू की अतंर्राष्ट्रीय सीमा पर इस साल लगभग 480 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है। पिछले साल की तुलना में यह संख्या 400 प्रतिशत ज्यादा है। पिछले साल केवल 111 बार पड़ोसी देश ने संघर्ष विराम का उल्लंघन किया था। इन घटनाओं में भारतीय पोस्टों पर हमला, गांवों में गोलीबारी और जवानों को निशाना बनाना शामिल है। जिसमें 11 सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान शहीद हो गए हैं।
बीएसएफ के अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तानी सेना ने इस साल लगभग रोजाना तीन बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है। जबकि वह लगातार उसके उकसावे का मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं। दोनों देशों के बीच 29 मई को डीजीएमओ स्तर की वार्ता हुई थी जिसमें साल 2003 में हुए संघर्ष विराम के समझौते को पूरी भावना के साथ पालन करने पर सहमति बनी थी।
अधिकारियों का कहना है कि इस्लामाबाद में सरकार की गैरमौजूदगी पाकिस्तान के दुस्साहसों का एक बहुत बड़ा कारण है। एक अधिकारी ने कहा, ‘अतंर्राष्ट्रीय सीमा पर सीमापार गोलीबारी और यहां तक की एलओसी पर जिसे कि सेना प्रबंधित करती है उसमें बढ़ोत्तरी हुई है क्योंकि पाकिस्तानी रेंजर्स और सेना किसी नेतृत्व के प्रति जवाबदेह नहीं है और स्थानीय कमांडर्स ने इस मसले को अपने हाथों में ले लिया है।’
जांच एजेंसियों की चेतावनी से यह बात साफ हो जाती है कि संघर्ष विराम पाकिस्तान में 25 जुलाई को होने वाले आम चुनाव से पहले खत्म होने वाला नहीं है। सूत्रों का कहना है कि आईएसआई भी इस क्षेत्र में काफी सक्रिय हो गया है और वह जवानों को मारने के लिए गैर सक्रिय नेताओं का मदद कर रहा है। इसे कभी पाकिस्तानी रेंजर्स का समर्थन मिला करता था।
बीएसएफ प्रमुख केके शर्मा ने प्रतिशोध में भारी गोलीबारी करने की वकालत की है। जिससे पाकिस्तान अगले दो सालों में एक दर्जन बार युद्ध विराम का उल्लंघन करने की सोचे तो उसे मौकों की तलाश करनी पड़े। हालांकि पाकिस्तानी अधिकारी और जवान अपनी बात पर अडिग नहीं रहते हैं और फ्लैग मीटिंग के एक घंटे बाद ही सामा पर गोलीबारी शुरू कर देते हैं।