April 27, 2024

मांझी ने एनडीए का साथ छोड़ विपक्षी महागठबंधन का दामन थामने का किया एेलान

हम के अध्यक्ष जीतनराम मांझी बिहार के एकमात्र एेसे नेता हैं जो अपने बयानों से बिहार की राजनीति में भूचाल लाते रहते हैं। कभी वो किसी की तारीफ के कशीदे पढ़ने लगते हैं तो दूसरे ही पल उसकी तमाम बुराईयों को भी सबके सामने लाकर रख देते हैं।

आज उन्होंने फिर अपने फैसले से बिहार के राजनीतिक गलियारे में एक नया भूचाल ला दिया है। मांझी ने एनडीए का साथ छोड़ विपक्षी महागठबंधन का दामन थामने का एेलान क्या किया? बिहार की राजनीति एक बार फिर से गरमा गई है। जीतनराम मांझी के बयान और उनकी कार्यशैली हमेशा से दुविधाओं पर टिकी रही है। वो सुबह कुछ कहते हैं और शाम में कुछ कहते नजर आते हैं।

 क्या है वजह

एनडीए के सहयोगी दल रहे हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी गठबंधन में उचित स्थान न दिए जाने से काफी समय नाराज चल रहे थे। वह समय-समय पर इसको लेकर अपनी नाराजगी भी जाहिर कर चुके थे। यही नहीं, उन्होंने कई मुद्दों पर केन्द्र व राज्य सरकार को भी कठघरे में खड़ा किया था। यही नहीं उन्होंने यह भी एलान किया था कि हम अपनी आठ मार्च की रैली में एनडीए के लोगों को नहीं बुलाएंगे।

उपचुनाव के सीट बंटवारे से थे ज्यादा नाराज

बता दें कि हम अध्यक्ष जीतनराम मांझी बिहार उपचुनाव में जहानाबाद से टिकट नहीं मिलने से नाराज चल रहे थे और लगातार अपने बयानों से सबको चौंकाते रहे हैं। कभी तो वे एनडीए की तारीफ करने लगते हैं और उपचुनाव का प्रचार करने की हामी भरते हैं तो कभी अपना बयान बदलकर एनडीए को अपना गुस्सा दिखाते रहे।

लेकिन आखिरकार आज मांझी का गुस्से और सब्र का बांध टूट ही गया और उन्होंने एनडीए का साथ छोड़ विपक्ष का दामन थामने की घोषणा कर ही दी। जहानाबाद से उपचुनाव का टिकट नहीं मिलने से नाराज मांझी ने पहले ही इसके संकेत दे दिए थे कि वो लालू यादव की दोस्ती कबूल कर सकते हैं।

लालू से हाथ मिलाने की संभावना जता मचाया था बवाल 

भाजपा की तरफ से लगातार उपेक्षा की ख़बरों के बीच जीतन राम मांझी ने एक बार फिर सुर्खियां बटोरी । राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से गठबंधन के सवाल पर उन्होंने बेबाकी से कहा राजनीति में कुछ भी संभव है।

लेकिन जब राज्यसभा की सीटों के लिए चुनाव का एलान हुआ और वहां भी अपनी पूछ नहीं होती देख उन्होंने एनडीए से नाता तोड़ना सही समझा। मांझी ने कुछ दिनों पहले कहा था कि आगामी 8 अप्रैल को पटना मे लाखों की भीड़ होगी और हम तख्तापलट देंगे। मांझी ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा, ‘आने वाले समय में आप अपनी एकता का परिचय दें, तभी यह सरकार हमारी बात सुनेगी।’

अब हम भी तलवार उठा लेंगे

यही नहीं, मांझी ने कहा, ‘जब बाबू वीर कुंवर सिंह ने 80 वर्ष की उम्र में तलवार उठा ली थी तो मेरी उम्र तो अभी 73 वर्ष की ही है। अब हम भी तलवार उठा लेंगे। सरकार सतर्क हो जाए। सिर्फ किसानों और मजदूरों की भलाई की बात करने से कुछ नहीं होगा बल्कि किसानों और मजदूरों को उनका हक देना होगा।’

दस महीने के लिए बने थे बिहार के मुख्यमंत्री

मांझी जदयू  नेता के तौर पर बिहार के 23वें मुख्यमंत्री बने थे और दस महीने के बाद ही 25 फरवरी 2015 को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। एेसा कहा गया कि मुख्यमंत्री बनने के दस महीनों के बाद ही पार्टी ने उनसे नीतीश कुमार के लिये पद छोड़ने को कहा था। ऐसा न करने के कारण उनको पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।

मुख्यमंत्री बन रहे थे सुर्खियों में 

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का कार्यकाल भले ही काफी छोटा रहा हो लेकिन उनका यह छोटा कार्यकाल काफी चर्चित और सुर्खियों में रहा है। क्योंकि खुद मांझी भी चर्चा और सुर्ख़ियों में रहना भली भांति जानते हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में जीतन राम मांझी की उपेक्षा की ख़बरें जब तब आती रहती हैं। खुद मांझी भी इस तरफ लगातार इशारा करते रहते हैं।

नीतीश कुमार पर लगाए थे ये गंभीर आरोप

जीतन राम मांझी ने कुछ दिनों पहले बेबाक बयान देते हुए कहा था कि 2014 लोकसभा चुनावों के बाद नीतीश कुमार ने उन्हें मुख्यमंत्री बना तो दिया गया लेकिन उनकी कुछ चलती नहीं थी। उन्होंने बिना लाग लपेट के कहा कि नीतीश कुमार के नौकरशाहों के सामने उनकी एक नहीं चलती थी।

उन्होंने कहा कि सीएम रहते चार महीने तक वो कोई काम अपनी मर्ज़ी से नहीं कर सके और उनके ही अधिकारी उनकी  कोई बात नहीं सुनते थे। मांझी ने यह भी कहा कि वे अपने फ़ैसले सरकार में लागू नहीं कर सके।

उन्होंने कहा कि उनकी लगातार उपेक्षा हो रही थी और उनके सीएम रहते उनके ही अधिकारी दूसरों के निर्देशों पर चल रहे थे तो मजबूरन चार महीने बाद उन्होंने चुप्पी तोड़नी शुरू की। उन्होंने कहा कि उन्होंने जानबूझकर कोई विवादित बयान नहीं दिया था और उन्हें जो सही लगा वही किया।

मांझी ने कहा कि जब नीतीश कुमार उनको हटाना चाहते थे तो उनको खुलकर बोलना चाहिए था। मांझी ने कहा कि यदि नीतीश सीधे कहते तो वे सीएम की कुर्सी छोड़ देते। बकौल मांझी उन्हें इस बात का दुख है कि उन्होंने दूसरे माध्यम से बात कहलवाई।

बीजेपी पर भी लगाया था आरोप

इतना ही नहीं मांझी ने बीजेपी पर भी आरोप लगाया और कहा कि बीजेपी ने उनका साथ नहीं दिया यदि भाजपा पूरा साथ देती तो वे जरूर सरकार बचा लेते। मांझी ने कहा कि बीजेपी की धोखेबाजी का अंदाज़ा उन्हें पहले ही लग गया था और मुश्किल घड़ी में साथ देने वाले अपने समर्थक विधायकों को वे परेशानी में नहीं डालना चाहते थे इसलिए फ्लोर पर जाने से पहले अंतिम क्षण में राजभवन जाने का फैसला किया था।

मांझी ने नीतीश पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद नैतिकता के आधार पर नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था लेकिन इसके पीछे उनकी कूटनीति थी। जीतन राम मांझी ने कहा कि वह सिर्फ नाम के मुख्यमंत्री थे जबकि सारा कार्य नीतीश कुमार करते थे।

नीतीश कुमार की तारीफ भी की

जीतन राम मांझी ने कभी नीतीश कुमार की तारीफ के कशीदे भी पढ़े थे। मांझी ने कहा कि  नीतीश कुमार मेरे राजनीतिक जन्मदाता हैं। राजनीति में मंत्री से मुख्यमंत्री बनाने वाले नीतीश जी ही हैं। इस बात को मेरे परिवार के लोग भी स्वीकार करते हैं।

मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार ने कभी उनकी बेइज्जती नहीं की थी। मांझी ने कहा है कि नीतीश कुमार ने उदय नारायण चौधरी को दो बार विधानसभा का स्पीकर बनाया, श्याम रजक को मंत्री बनाया और मुझे तो सीएम बना दिया। ऐसे में उन्हें किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं कि वह दलित प्रेमी है।

आज राबड़ी से मिलकर थाम लिया विपक्षी पार्टी का हाथ

आज जीतनराम मांझी ने बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता राबड़ी देवी से मुलाकात के बाद एनडीए से नाता तोड़ने का एलान कर दिया है। मांझी ने राबड़ी देवी से मुलाकात के बाद मीडिया के सामने आकर इस संबंध में औपचारिक घोषणा की। इस दौरान पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव भी उनके साथ रहे।

राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि जीतनराम मांझी उनके माता-पिता के पुराने दोस्त हैं और वो उनका महागठबंधन में स्वागत करते हैं।


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