April 19, 2024

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. प्रणब मुखर्जी का आरएसएस के कार्यक्रम में जाना तय, कांग्रेस में छाई चुप्पी

भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 7 जून को आरएसएस मुख्यालय में संघ के कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। यह कार्यक्रम नागपुर में होगा। मुखर्जी के इस फैसले से अधिकतर कांग्रेस नेता आश्चर्य में हैं। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी इस वक्त विदेश में हैं जिस कारण उनकी इस मामले पर टिप्पणी सामने नहीं आई है। लेकिन कांग्रेस के कई नेताओं ने इस पर अपनी राय दी है।

प्रणब मुखर्जी के कार्यालय के एक अधिकारी ने पुष्टि कर कहा, “ये सही है कि वे कार्यक्रम में शामिल होने के लिए नागपुर जाएंगे और 8 जून को वापस लौटेंगे।” बता दें कि मुखर्जी अपने पूरे राजनीतिक कार्यकाल में कांग्रेस से जुड़े रहे हैं। कांग्रेस के शासनकाल के दौरान वह वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री समेत कई महत्त्वपूर्ण पदों पर भी रहे हैं। वहीं उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि उनके और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के कई सालों से अच्छे संबंध हैं।

नागपुर के आरएसएस सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद मुखर्जी और भागवत की तकरीबन चार बार मुलाकात हो चुकी है। इससे पहले साल 2015 में जब भाजपा गठबंधन ने बिहार विधानसभा चुनाव में हार का सामना किया था तो उसके एक दिन बाद दोनों के बीच मुलाकात हुई थी। इस दौरान भागवत ने मुखर्जी को संघ की कुछ पुस्तकें भी भेंट की थीं।

इसके बाद साल 2017 में जब मुखर्जी का राष्ट्रपति पद से कार्यकाल समाप्त हुआ था, तब भी इन दोनों की मुलाकात हुई थी। इन मुलाकातों पर संघ के कार्यकर्ता का कहना है कि ये सभी मुलाकात एक अनौपचारिक मुलाकात थी और इसका कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं था।

कांग्रेस नेताओं ने ये कहा

एक कांग्रेस नेता ने बताया कि वह मुखर्जी ही थे जिन्होंने 2010 के अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के बुराड़ी सत्र में राजनीतिक प्रस्ताव रख उस समय की यूपीए सरकार से कहा था कि वह आरएसएस, आतंकवाद और उनके अन्य संगठनों के बीच संपर्क की जांच करे। जिनका अभी हाल ही के मामलों में खुलासा हुआ है।

पार्टी के कई दिग्गज नेताओं ने ये कहते हुए कि उन्हें मुखर्जी के ऐसे किसी भी कार्यक्रम में शामिल होने के बारे में पता नहीं है, कुछ भी कहने से मना कर दिया। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा, “मुखर्जी एक बुद्धिमान व्यक्ति हैं। वह भारत के राष्ट्रपति रह चुके हैं, वह धर्मनिरपेक्षता को मानते हैं, तो वहां जाकर भी उनके व्यवहार में किसी प्रकार का अंतर नहीं आएगा। वह पहले के जैसे ही रहेंगे।”

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी से जब पूछा गया कि मुखर्जी के इस फैसले को पार्टी किस तरह से देख रही है तो उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि श्रेष्ठ व्यक्ति जो इस सवाल का जवाब दे सकता है, वह पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी खुद हैं। उन्हें निमंत्रण दिया गया, जिसे उन्होंने स्वीकार भी कर लिया है, यानि प्रत्यक्ष तौर पर वह जा रहे हैं। तो अगर इससे संबंधित कोई भी प्रश्न है तो इसका बेहतर जवाब मुखर्जी ही दे पाएंगे।”

बता दें आरएसएस गर्मी के सीजन में पूरे देश में ट्रेनिंग कैंप आयोजित करता है। ये ट्रेनिंग तीन साल के लिए आयोजित होती है। वहीं जो अंतिम वर्ष का कैंप होता है उसे ‘तृतीया वर्ष शिक्षा वर्ग’ के नाम से जाना जाता है। इसका आयोजन प्रति वर्ष संघ के मुख्यालय नागपुर में होता है।

इसके अलावा इसमें एक नियम यह भी है कि जो सदस्य पहले और दूसरे साल कैंप में शामिल होते हैं, वे ही तीसरे और अंतिम साल के आयोजन में हिस्सा ले सकते हैं। इसके बाद ही उन्हें संघ प्रचारक की उपाधि दी जाती है।

आरएसएस के एक कार्यकर्ता ने नाम ना लिखने की शर्त पर बताया कि, हम हमेशा प्रमुख लोगों को ही इस आयोजन को संबोधित करने के लिए आमंत्रित करते हैं। इस साल हमने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आमंत्रित किया है, जिसे उन्होंने स्वीकार किया है। उन्होंने संघ के बारे में जानकारी प्राप्त करने में रुचि दिखाई है।

बता दें आरएसएस की परंपरा के अनुसार वह नागपुर में होने वाले अपने दो महत्वपूर्ण कार्यक्रमों पहला वार्षिक दिवस और दूसरा स्थापना दिवस में उन लोगों को भी आमंत्रित कर सकता है जिनकी वैचारिकता उनसे मेल नहीं खाती है। इससे पहले साल 2007 में पूर्व एयर चीफ मार्शल एवाई टिपनिस को आमंत्रित किया गया था।


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