त्रिवेंद्र सरकार में दबाव या फिर नाराजगी
ये इत्तेफाक है या फिर सोची समझी सियासी रणनीति लेकिन गाहे-बगाहे कुछ ना कुछ ऐसा घट ही जा रहा है जिसमें सूबे की प्रंचड बहुमत वाली त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के प्रति असंतोष या फिर मुख्यमंत्री को दबाव में लेने की बू आने लगती है। रह-रह कर विधायक और मंत्रियों की दिल्ली दौड़ इस का साफ इशारा करती है। सबसे पहले बात करते हैं पार्टी के प्रदेश संगठन की जिसके मुखिया अजय भट्ट सरकार को गियर में लेने की कोशिश करते नजर आए हैं। वो चाहे मंत्रियों की बीजेपी मुख्यालय में डयूटी रही हो या फिर बीजेपी कार्यसमिति के सामने मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड की पेशगी रही हो और अब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर आयोजित समारोह के मंच पर कार्यकर्ताओं की कथित अव्यवस्थाओं पर अजय भट्ट की झल्लाहट।
बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री के साथ सैल्फी लेने से हुई अव्यवस्था पर भट्ट ने नसीहत दे डाली कि संगठन बड़ा है। उससे उपर कोई भी नहीं। हां ये बात और है कि भट्ट अब इन बातों से साफ इंकार कर रहे हैं। गौरतलब है कि बीते 18 दिसंबर को जब सूबे की बीजेपी सरकार अपने 9 महीने पूरी कर रही थी तो ठीक उसी दिन सतपाल महाराज की अगुवाई में बीजेपी विधायक दिल्ली में ढेरा डाले मौजूद थे। ऑल वेदर रोड को लेकर स्थानीय स्तर पर विरोध के नाम पर सतपाल महाराज के नेतृत्व में विधायक महेन्द्र भट्ट, कुवर प्रणव चैम्पियन, गोपाल रावत समेत आधा दर्जन से अधिक विधायकों ने केद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की। जिसके बाद उत्तराखंड की सियासत गर्म हो गई। मुलाकात को लेकर विपक्ष का कहना है की विधायकों में असंतोष है तो वहीं बीजेपी सब कुछ ठीक होने की बात कह रही है।
वहीं सू़त्रों के मुताबिक सूबे के कुछ मंत्री और विधायक बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन के नेताओं से भी मिलने की जुगत करते रहे हैं। बहरहाल व्यक्तिगत तौर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अभी तक विवादों से बचे हैं और उनका कार्यकाल भी अभी तक बेदाग रहा है लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर जो बाते सुनने में आ रही हैं। वो सरकार की सेहत के लिए ठीक नहीं कहीं जा सकती।