मानसून सत्र से 22 भाषाओं में सवाल-जवाब कर सकेंगे राज्यसभा सदस्य
संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा ने ऐसी व्यवस्था कर दी है कि मानसून सत्र से इसके सदस्य 22 भाषाओं में सवाल-जवाब कर सकेंगे। पहले से जारी इस सुविधा में पांच और भाषाओं को जोड़ा गया है, जिनमें डोगरी, कश्मीरी, कोंकणी, संथाली और सिंधी हैं।
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू के दुभाषिये के नए पैनल को प्रशिक्षण के बाद प्रमाणपत्र देने से यह संभव हो पाया है। नायडू ने कहा, ‘मैं हमेशा महसूस करता था कि मातृभाषा के जरिये आप बिना किसी रुकावट अपनी भावना और विचारों को व्यक्त कर सकते हैं।’ उपराष्ट्रपति ने बहुभाषा सेटिंग के जरिये कहा कि सदस्यों को भाषा की समस्या के कारण दूसरों के मुकाबले खुद को हीन और असमर्थ नहीं समझना चाहिए।
इससे पहले राज्यसभा में 12 भाषाओं में दुभाषिये की व्यवस्था थी। शेष पांच भाषाओं जैसे मैथिली, मणिपुरी, मराठी, बोड़ो और नेपाली के लिए लोकसभा के दुभाषिये को नियुक्त किया गया है। नायडू ने जब सभापति का पद संभाला था, तब उन्होंने कहा था कि संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी 22 भाषाओं में सांसदों को बोलने की व्यवस्था की जाएगी ताकि वह अपने विचारों को बेहतर तरीके से रख सकें।