अमेरिका: पिछले दो साल में भारतीयों को मिले 74 प्रतिशत एच-1बी वीजा
अमेरिकी सरकार की ओर से 2016 में जारी हुए कुल एच-1बी वीजा में से भारतीय तकनीकी पेशेवरों की हिस्सेदारी 74.2 प्रतिशत रही। वहीं इसके अगले साल 2017 में भारतीयों को 75.6 प्रतिशत वीजा मिले। हालांकि पिछले वर्षों की तुलना में भारतीय वीजा लाभार्थियों की संख्या में गिरावट आई है। यूनाइटेड स्टेट सिटीजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विस की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
ईबी-5 वीजा प्रोग्राम से यूएस में कानूनी रूप में स्थायी निवास पाया जा सकता है। हालांकि इसमें नागरिकता नहीं मिलेगी। अमेरिका के ईबी-5 वीजा के लिए 5 लाख डॉलर का निवेश करना होता है। इसके बाद पूरे परिवार को ग्रीन कार्ड मिल जाता है।
ईबी-5 ब्रिक्स के सीईओ विवेक टंडन ने कहा कि ईबी-5 वीजा प्रोग्राम पिछले 30 सालों से चलन में है। 2015 से इसकी निवेश राशि को बढ़ाने के कई प्रस्ताव आये हैं। लेकिन इसका प्रभाव वीजा का आवेदन करने वाले लोगों की संख्या पर पड़ सकता था।
आपको बता दें कि अमेरिकी प्रशासन एच-1 बी वीजा धारकों के जीवनसाथियों के लिए ऐसी योजना बना रहा था जिससे वहां मौजूद 80 फीसदी भारतीय महिलाएं बेरोजगार हो जाएंगी। इस फैसले के बाद 70 हजार भारतीयों की नौकरी पर तलवार लटकी है, इसमें ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं। एक अमेरिकी सांसद ने बताया कि प्रशासन एच-1 बी वीजा धारकों के जीवनसाथियों को कानूनी रूप से मिल रहे वर्क परमिट को खत्म करने की योजना बना रहा है।
अगर ऐसा होता है तो इस फैसले से हजारों भारतीयों के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी। आपको बता दें कि इस नियम को पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में शुरू किया गया था, अगर इसे खत्म किया जाता है तो 70 हजार एच-4 वीजा धारकों पर असर पड़ेगा।
गौरतलब है कि एच-1 वीजा धारकों के जीवनसाथी को एच-4 वीजा जारी किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में उच्च कौशल वाले भारतीय पेशेवर शामिल हैं। ओबामा प्रशासन के फैसले से भारतीय अमेरिकियों को सबसे ज्यादा फायदा पहुंचा था। एच-4 वीजा धारकों में 90 फीसदी भारतीय हैं।
71287 एच-4 वीजा धारकों को जून, 2017 तक मिला काम करने का अधिकार
94 फीसदी इसमें से महिलाएं
93 प्रतिशत भारतीय
4 प्रतिशत चीन के नागरिक
(नोट : माइग्रेशन पॉलिसी इंस्टीट्यूट का शोध)