March 28, 2024

जापान में खेला जाना है रग्बी विश्व कप, ट्रॉफी भारत में दिल्ली, मुंबई और भुवनेश्वर का दौरा करेगी

रग्बी विश्व कप जापान में 20 सितंबर से 2 नवंबर तक 2019 में होगा। यह रग्बी विश्व कप नौंवा संस्करण है और यह पहली बार एशिया में आयोजित किया जा रहा है। ओलंपिक और फुटबॉल विश्व कप के बाद हर चार बरस बाद होने वाला रग्बी विश्व कप दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा खेल आयोजन है।

जापान में इस बार होने वाले 2019 के रग्बी विश्व कप में दुनिया की 20 शीर्ष टीमें इसमें शिरकत करेंगी। इसमें शिरकत करने वाली इन टीमों को चार पूल में बांटा गया है। ये सभी टीमें रग्बी विश्व कप वेब एलिस ट्रॉफी खिताब के लिए संघर्ष करेंगी।

नौंवे रग्बी विश्व कप के मैच जापान के 12 शहरों में होंगे और इसमें कुल 48 मैच खेले जाएंगे। अब इस रग्बी विश्व कप के लिए दो टीमों- एक रग्बी अफ्रीका गोल्ड कप से 18 अगस्त को और दूसरी फ्रांस के रेपचेज टूर्नामेंट से क्वॉलिफाई करेगी।  

वेब एलिस ट्रॉफी का सोमवार को यहां खेल मंत्री कर्नल राज्यवद्र्धन सिंह राठौड़ ने अनावरण किया। राठौड़ ने कहा, ‘मुझे इस बात की खुशी है कि वेब एलिस रग्बी विश्व कप की ट्रॉफी जिन 18 देशों का दौरा करेगी उनमें भारत भी एक है। रग्बी विश्व कप वेब एलिस कप ट्रॉफी भारत में 6 से 10 अगस्त तक दिल्ली, मुंबई और भुवनेश्वर का दौरा करेगी।’

खेल मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा, ‘भारत में धीरे -धीरे ही सही रग्बी अपनी अलग पहचान बना रही है। मुझे पूरी उम्मीद है कि  वह दिन जरूर आएगा जब भारत भी रग्बी में विश्व कप ट्रॉफी जीतेगा।  भारत में क्रिकेट जिस तरह कभी सबसे लोकप्रिय खेल था लेकिन अब अन्य खेल में अपनी जगह बना रहे हैं। रग्बी को भारत में लोकप्रिय बनाने के लिए जमीनी स्तर पर मेहनत की दरकार है। रग्बी की भारत में मजबूत जड़े हैं और इतिहास है। भारत में रग्बी के लिए रूचि खासी बढ़ रही हैं। भारत में वेब एलिस रग्बी विश्व कप ट्रॉफी के दौरे से रग्बी के प्रति रूचि बहुत बढ़ेगी।   

रग्बी में दरअसल बहुत शारीरिक दमखम और चुस्ती की जरूरत होती है। जब मैं फौज में था कश्मीर में जब बहुत बर्फ पड़ती तो हम फुटबॉल की गेंद से  हाथ से दूसरे गोल पोस्ट तक पहुंचा कर रग्बी खेलते थे। इसमें काफी चोट भी लगती थी लेकिन इससे फिट बने रहने में मदद मिलती थी। भारत में अभी करीब सवा दौ से ज्यादा जिलों में रग्बी खेली जाती है। धीरे धीरे ही शारारिक दमखम वाले खेल में भारत भी अपना एक अलग मुकाम हासिल करेगी।

‘अगले साल से स्कूलों में अनिवार्य कर दिया जाएगा खेल पीरियड’ 

राठौड़ ने कहा, ‘देशों में खेलों को बढ़ावा देने के लिए अगले साल से स्कूलों में पाठ्यक्रम 50 फीसदी कर खेल का पीरियड (घंटा) जरूरी कर दिया जाएगा। हम अब उस दौर में पहुंच गए हैं जहां खेल शिक्षा का हिस्सा नहीं बल्कि यह शिक्षा है।

शिक्षा मंत्रालय यह सुनिश्चित करने में जुटा है कि 2019 तक पाठयक्रम को 50 फीसदी कर दिया जाए और खेल का पीरियड नियमित हो। साथ ही इस साल हम 20 विशेष खेल स्कूल खोलेंगे अर इसमें सरकार हर में सात से दस करोड़ तक खर्च करेगी। हर खेल स्कूल में फोकस दो से तीन खेलों पर रहेगा।’ 

…और पुरानी यादों में खो गए राठौड़, बोले यूं बदली फिजां  

भारत के पूर्व रग्बी खिलाड़ी और फिल्म अभिनेता राहुल बोस ने खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ से 2004 एथेंस ओलंपिक में निशानेबाजी में रजत पदक जीतने की यादों को साझा करने को कहा। इस पर राठौड़ खासे भावुक तो हुए ही पुरानी यादों में खेल गए। भारत के लिए 2004  में एथेंस ओलंपिक में निशानेबाजी में डबल ट्रैप स्पद्र्धा में रजत पदक जीतने वाले खेल मंत्री

राज्यवर्धन सिंह राठौड़ अपने इस रजत पदक की चर्चा करते हुए यादों में खो जाते हैं। राठौड़ कहते हैं, ‘2003 में मैंने डबल ट्रैप में जहां भी जिस भी टूर्नामेंट में शिरकत की तो मैं टॉप थ्री में रहा। जब मैं 2004 में एथेंस ओलंपिक में खेलने उतरा तो तब तक मुझमें यह भरोसा आ चुका था कि मैं देश के लिए इस बार मेडल जरूर जीतेगा। मेरा विश्वास रंग लाया और मैं देश के लिए एथेंस ओलंपिक में रजत पदक जीतने कामयाब रहा।

अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक में चार बरस बाद एयर पिस्टल में अभिनव बिंद्रा ने स्वर्ण पदक जीता। मनु भाखर जैसी 16 बरस की निशानेबाज ने पहली बार निशानेबाजी विश्व कप और गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता। इस तरह की शानदार कामयाबियों से भारत में निशानेबाजी की बाबत सोच और फिजां ही बदल गई। इससे भारतीय निशानेबाजों में विश्व मंच पर कहीं भी बेहतर  प्रदर्शन करने का विश्वास पैदा हुआ।


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