जस्टिस लोया केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा उचित बेंच करे मामले की सुनवाई
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस लोया मामले को अगली बार उचित पीठ के समक्ष लगाए जाने का आदेश देते हुए मामले की सुनवाई टाल दी। कोर्ट के इस आदेश के बाद माना जा रहा है कि अब यह मामला किसी दूसरी पीठ को भेजा जा सकता है। इसकी के साथ इस बात के भी कयास लग रहे हैं कि जस्टिस अरुण मिश्रा इस केस की सुनवाई से हट सकते हैं। गौरतलब है कि चार वरिष्ठ जजों ने मुख्य न्यायाधीश से जिन मामलों को लेकर असंतोष जताया था, उनमें से एक यह भी था।
ऐसे में मंगलवार को जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एमएम शांतनगौडर की पीठ का अगली बार मामले को उचित पीठ के समक्ष लगाए जाने का निर्देश देना महत्वपूर्ण हो जाता है। यह इशारा इस मामले से मौजूदा पीठ का अपने को केस से अलग किए जाने का भी प्रतीत होता है। हो सकता है कि अगली सुनवाई में जज लोया की मौत से संबंधित यह मामला दूसरी पीठ के सामने लगे।
मंगलवार को जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एमएम शांतनगौडर की पीठ ने कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला व महाराष्ट्र के एक पत्रकार की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई की। महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सीलबंद लिफाफे में जस्टिस लोया की मौत से संबंधित रिकार्ड और पोस्टमार्टम रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी। तभी याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकीलों ने रिकार्ड मांगते हुए कहा कि उन्हें मामले में बहस के लिए रिकार्ड देखने को मिलने चाहिए।
इस पर पीठ ने प्रदेश सरकार से कहा कि वे रिकार्ड की प्रति याचिकाकर्ताओं को दें। परंतु साल्वे का कहना था कि रिकार्ड में लगे हुए कुछ कागजात गोपनीय हैं, वे लीक नहीं होने चाहिए। पीठ ने कहा कि वे मामले की सुनवाई एक सप्ताह के लिए टाल रहें हैं। इस दौरान याचिकाकर्ता भी कागजात देख लेंगे। उन्हें भी मामले के बारे में सब मालूम होना चाहिए। इस पर साल्वे ने कहा कि वे रिकार्ड के गोपनीय कागजों पर निशान लगा देंगे।
हालांकि याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने भरोसा दिलाया कि वे रिकार्ड सार्वजनिक नहीं करेंगे। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले की सुनवाई टालते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह सात दिनों के भीतर मामले से जुड़े रिकार्ड कोर्ट में दाखिल करे। इसके अलावा अगर उसे उचित लगे तो वह रिकार्ड की प्रति याचिकाकर्ताओं को भी दें।
क्या है मामला
सोहराबुद्दीन मुठभेड़ कांड की सुनवाई कर रहे मुंबई के विशेष सीबीआइ जज जस्टिस लोया की दिसंबर 2014 में मौत हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट में दो जनहित याचिकाएं लंबित हैं जिनमें जस्टिस लोया की मौत की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की गई है।