शादीशुदा गैर मर्द से सम्बंध बनाने वाली महिला पर केस चले या नहीं, अब संवैधानिक पीठ करेगी फैसला
नई दिल्ली। महिलाओं को एडल्टरी मामले में सजा दी जा सकती है या नहीं। इस पर अब सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ फैसला करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने शादी से बाहर अवैध संबंध बनाने को लेकर कानून को चुनौती देने वाली याचिका को संवैधानिक पीठ को ट्रांसफर कर दिया है। अब पांच जजों की बेंच इस पर फैसला लेगी। मौजूदा कानून के मुताबिक, शादी के बाद किसी दूसरी शादीशुदा महिला से संबंध बनाने पर अभी तक सिर्फ पुरुष के लिए ही सजा का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सामाजिक बदलाव के मद्देनजर लैंगिक समानता और इस मामले में दिए गए पहले के कई फैसलों के दोबारा परीक्षण की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने मामले को पांच जजों की संवैधानिक बेंच को रेफर कर दिया। अदालत ने कहा कि वह 1954 और 1985 के जजमेंट से सहमत नहीं है। गौरतलब है कि आईपीसी की धारा-497 के प्रावधान के तहत पुरुषों को अपराधी माना जाता है जबकि महिला विक्टिम मानी गई है। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता का कहना है कि महिलाओं को अलग तरीके से नहीं देखा जा सकता क्योंकि आईपीसी की किसी भी धारा में लैंगिक विषमताएं नहीं हैं। एडल्टरी से संंबंधित कानूनी प्रावधान को गैर संवैधानिक करार दिए जाने के लिए दाखिल अर्जी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था।
याचिका में कहा गया है कि आईपीसी की धारा-497 के तहत जो कानूनी प्रावधान है वह पुरुषों के साथ भेदभाव वाला है। अगर कोई शादीशुदा पुरुष किसी और शादीशुदा महिला के साथ उसकी सहमति से संबंधित बनाता है तो ऐसे संबंध बनाने वाले पुरुष के खिलाफ उक्त महिला का पति अडल्टरी का केस दर्ज करा सकता है, लेकिन संबंध बनाने वाली महिला के खिलाफ और मामला दर्ज करने का प्रावधान नहीं है जो भेदभाव वाला है और इस प्रावधान को गैर संवैधानिक घोषित किया जाए। याचिकाकर्ता ने कहा है कि पहली नजर में धारा-497 संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है।