April 26, 2024

यह गठबंधन स्वार्थपूर्ण नहीं बल्कि बीजेपी को रोकने के लिए है और यह आगे भी जारी रहेगा- मायावती

तमाम आशंकाओं के बावजूद यूपी में एसपी-बीएसपी गठबंधन परवान चढ़ता दिख रहा है। राज्यसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार की हार के बाद भी बीएसपी का एसपी मोह भंग नहीं हुआ है। इस बीच, बीएसपी सुप्रीमो मायावती आज लखनऊ में एसपी के साथ गठबंधन को लेकर अपने वरिष्ठ नेताओं का फीडबैक जानने के लिए महत्वपूर्ण बैठक कर रही हैं। इसके बाद 2019 की रणनीति तैयार की जाएगी। इससे पहले ही उन्होंने साफ कर दिया कि यह गठबंधन स्वार्थपूर्ण नहीं बल्कि बीजेपी को रोकने के लिए है और यह आगे भी जारी रहेगा।

‘दलितों को लेकर बीजेपी ने किया ड्रामा‘ 
पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक सुबह करीब 10 बजे शुरू हुई। इससे पहले मायावती ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा, ‘साढ़े चार साल की सरकार के दौरान बीजेपी ने सिर्फ ड्रामा किया है, खासकर दलितों को लेकर। मोदीजी ने मन की बात में बीआर आंबेडकर के लिए बोला था लेकिन उनकी मानसिकता बाबा साहेब के बिल्कुल विपरीत है जिसके खिलाफ वे खड़े हुए थे। यही वजह है कि बीजेपी-आरएसएस पिछले कई दशकों तक सत्ता से बाहर रही थी।’

उन्होंने आगे कहा, ‘वे लोग आंबेडकर का नाम जपते हैं लेकिन उस कैटिगरी से जो आते हैं उन पर अत्याचार करते हैं। उन्होंने कहा कि बीएसपी-एसपी का गठबंधन स्वार्थपूर्ण नहीं है बल्कि यह बीजेपी के कुशासन के खिलाफ है।’ मायावती ने यह भी कहा, ‘हम बीजेपी को सत्ता में आने से रोकेंगे। मेरे लोग उनके भड़काने से नहीं भड़केंगे। बीजेपी के लोग सपा-बसपा को लेकर अनर्गल बयानबाजी करते रहते हैं लेकिन इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा।’

फीडबैक लेकर बनेगी आगे की रणनीति
बताया जा रहा है कि मायावती की अपने वरिष्ठ नेताओं के साथ यह बैठक काफी महत्वपूर्ण है। इस बैठक में मायावती बसपा को-ऑर्डिनेटर्स से एसपी-बीएसपी गठबंधन का फीडबैक जानेंगी और उसके हिसाब से आगे की रणनीति बनाई जाएगी। माना जा रहा है कि इस बैठक के साथ ही मिशन 2019 के लिए बीएसपी का अभियान भी शुरू हो जाएगा।

संयुक्त उम्मीदवार उतारने की भी संभावना 
राज्यसभा चुनाव में बीएसपी प्रत्याशी भीमराव आंबेडकर की हार के बाद से ही बीएसपी और एसपी गठबंधन टूटने के कयास जताए जा रहे थे, लेकिन खुद मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए यह साफ किया कि परिणाम से बीएसपी-एसपी के गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि दोनों पार्टियां आने वाले लोकसभा चुनाव में यूपी की तमाम सीटों पर संयुक्त रूप से अपने उम्मीदवार उतार सकती हैं।

कौन छोड़ेगा CM पद पर अपना दावा?
माना जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में एसपी और बीएसपी प्रदेश की आधी-आधी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती हैं, लेकिन सीटों का बंटवारा कैसे होगा, यह दोनों ही पार्टियों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। इसके अलावा अगर 2019 के लोकसभा चुनावों का गठबंधन 2022 के विधानसभा चुनाव तक कायम रहता है तो यह देखना दिलचस्प होगा कि अपनी-अपनी पार्टी के शिखर पर बैठे दोनों नेताओं में से कौन सीएम पद पर अपना दावा छोड़ता है?

इस समीकरण पर चल सकता है गठबंधन 
दोनों दलों से जुड़े नेताओं का कहना है कि एसपी के नेता मायावती को केंद्र की राजनीति का हिस्सा बनाना चाहते हैं और गठबंधन की स्थिति में अखिलेश को स्टेट लेवल पॉलिटिक्स में रखने का निर्णय हो सकता है। इसके लिए मायावती को लोकसभा के चुनाव में ज्यादा सीटें भी दी जा सकती है।


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